French Nuclear Umbrella: 14 मई 2025 को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक चौंकाने वाला बयान दिया, जिसमें उन्होंने यूरोप में फ्रांस के परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर खुला संवाद शुरू करने की बात कही। यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के बीच सामने आया है।
मैक्रों का यह प्रस्ताव उनके “यूरोपीय रणनीतिक स्वायत्तता” (European Strategic Autonomy) के दृष्टिकोण के तहत आता है, जिसका उद्देश्य यूरोपीय संघ को सुरक्षा और रक्षा मामलों में अमेरिका पर निर्भरता से मुक्त कर एक स्वतंत्र शक्ति बनाना है।

यूरोप के लिए फ्रांसीसी न्यूक्लियर अंब्रेला: एक नया सामरिक युग
“न्यूक्लियर शेयरिंग” या परमाणु साझेदारी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कोई परमाणु-संपन्न देश अपने हथियार किसी गैर-परमाणु देश की भूमि पर तैनात करता है, लेकिन उस पर पूर्ण नियंत्रण खुद ही रखता है। यह मॉडल वर्तमान में NATO के तहत अमेरिका द्वारा उपयोग में लाया जाता है, जहां उसके B61 टैक्टिकल न्यूक्लियर बम बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और तुर्किये में तैनात हैं।
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हालांकि अमेरिका इन हथियारों का कानूनी स्वामित्व और नियंत्रण बरकरार रखता है और इनका प्रयोग केवल राष्ट्रपति की अनुमति से ही संभव होता है।
French Nuclear Umbrella: मैक्रों द्वारा इसी मॉडल की तर्ज पर फ्रांस के परमाणु हथियारों को यूरोपीय देशों में तैनात करने की संभावना जताई गई है। यह एक बड़ी रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है क्योंकि फ्रांस परंपरागत रूप से अपने परमाणु प्रतिरोध को पूरी तरह राष्ट्रीय संपत्ति मानता रहा है।
क्या फ्रांस के पास पर्याप्त परमाणु हथियार हैं? जानिए चुनौतियां और सीमाएं
वर्तमान में फ्रांस के पास लगभग 290 परमाणु हथियार हैं, जो मुख्य रूप से दो तरीकों से छोड़े जा सकते हैं:
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पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें
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राफेल लड़ाकू विमानों से छोड़ी जाने वाली क्रूज़ मिसाइलें
हालांकि फ्रांस की सैन्य शक्ति काफी मजबूत है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यदि फ्रांस यूरोप में अन्य देशों में अपने हथियार तैनात करना चाहता है तो उसे अपनी वर्तमान सैन्य प्रणाली में कई बदलाव करने होंगे:
विषय | विवरण |
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कुल हथियार | ~290 वारहेड्स |
लॉन्च प्लेटफॉर्म | पनडुब्बियाँ और राफेल जेट |
संभावित तैनाती की चुनौती | हथियारों और विमानों के साथ विदेशी ठिकानों पर आधारभूत ढांचे की आवश्यकता |
कमांड और कंट्रोल सिस्टम | बहुराष्ट्रीय वातावरण में सुरक्षा चुनौती |
French Nuclear Umbrella: इसका अर्थ है कि फ्रांस को शायद अपने परमाणु भंडार को बढ़ाना पड़ेगा ताकि वह विश्वसनीय रूप से अन्य देशों की सुरक्षा गारंटी दे सके।
क्या यह कदम यूरोप को सुरक्षित करेगा या रूस को उकसाएगा?
इस प्रस्ताव के प्रभाव बहुआयामी हैं। समर्थकों का मानना है कि इससे रूस के खिलाफ यूरोप की सामूहिक प्रतिरोध क्षमता मजबूत होगी और NATO की रणनीतिक एकजुटता का प्रदर्शन होगा। लेकिन आलोचकों का तर्क है कि यह कदम रूस को उत्तेजित कर सकता है।
French Nuclear Umbrella रूस पहले ही बेलारूस में अपने सामरिक परमाणु हथियार तैनात कर चुका है। ऐसे में अगर फ्रांस भी यूरोप में ऐसा करता है, तो रूस इसे खतरे के रूप में देख सकता है और “सैन्य-तकनीकी उपायों” की चेतावनी दे चुका है।
क्या यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैध है?
French Nuclear Umbrella: 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के अनुसार, किसी परमाणु संपन्न देश को अपने हथियार या उनके नियंत्रण को किसी अन्य देश को हस्तांतरित करना मना है। अमेरिका और NATO के देश इस नियम से बचने के लिए यह दलील देते हैं कि वे केवल तैनाती करते हैं, कानूनी स्वामित्व नहीं सौंपते।
फ्रांस यदि ऐसा मॉडल अपनाता है तो उसे भी इसी वैधानिक विवेचना से गुजरना होगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और संस्थाओं में इसे लेकर असहमति बनी हुई है।
निष्कर्ष:
French Nuclear Umbrella: फ्रांस का यह प्रस्ताव यूरोप की सुरक्षा नीति में एक बड़ी रणनीतिक शिफ्ट का संकेत देता है। अमेरिका की NATO प्रतिबद्धताओं पर ट्रंप की अनिश्चितता और रूस के आक्रामक रुख के बीच, यूरोप को अब अपनी रक्षा रणनीति पर आत्मनिर्भर होना पड़ सकता है। हालांकि, इस कदम के लाभ और खतरे दोनों ही हैं – एक ओर सामूहिक सुरक्षा को मजबूती मिल सकती है, वहीं दूसरी ओर यह रूस के साथ टकराव को और भड़का सकता है।