दुनिया में अब एक नया शिगूफा छिड़ चुका है नाम है – टैरिफ वॉर। चल तो ये पहले से ही रहा था गुप् चुप तरिके से मगर इसके मुख्या कलाकार और अमेरिका के राष्ट्रपति श्रीमान ट्रम्प ने जान फूंक दी है। रोज और हर वक़्त नए नए नियम अधिनियम ने फ़िलहाल पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को संकट में डाल दिया है। सीधा सीधा इसमें अमेरिका और चीन का मुक़ाबला है। अमेरिका जो खुद को दुनिया सबसे शक्तिशाली देश मानता है, जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। वही दुनिया में नए नए शक्तिशाली बने चीन भी अब इसमें मुख्या भूमिका में आ गए है।

ऑस्ट्रेलिया ने चीन का प्रस्ताव को ठुकराया
हर समय हर किसी देश की कौनसी निति उसे विशेष भूमिका में ले आए उसे कोई नहीं जानता। अभी आयी सबसे नयी खबर ये है अमेरिका और चीन के इस युद्ध में ऑस्ट्रेलिया ने भी एक नयी भूमिका ली है। जिसमे चीन ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने चीन के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।
इस में चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ नीति के ख़िलाफ़ संघर्ष में साझेदारी की पेशकश की थी। व्हाइट हाउस ने हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई सामानों पर 10 फ़ीसदी का टैरिफ़ लगाया है। ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन के लिए टैरिफ़ बढ़ाकर 125 फ़ीसदी कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया में चीन के राजदूत शियाओ कियान ने गुरुवार को एक लेख में ऑस्ट्रेलिया से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि मिलकर विरोध करना ही अमेरिका के वर्चस्ववादी और धमकाने वाले व्यवहार को रोकने का ये बचा हुआ एकमात्र तरीका है। कल अमेरिका ने वैसे भी चीन पर 125 फीसदी का टैरिफ और बाकी 75 देशों पर 10 फीसदी का टैरिफ लगा कर, चीन को साधने की कोशिश की है।