Bihar court sentences BJP MLA: बिहार के दरभंगा जिले में स्थित MP/MLA कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मिश्री लाल यादव को दो साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। यह फैसला 27 मई 2025 को सुनाया गया, जिसमें उनके साथी सुरेश यादव को भी समान सजा दी गई है।

दरभंगा कोर्ट का फैसला: BJP विधायक मिश्री लाल यादव को दो साल की सजा
Bihar court sentences BJP MLA मामला क्या था?
यह मामला 2019 का है, जब दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक मिश्री लाल यादव और उनके सहयोगी सुरेश यादव पर एक स्थानीय निवासी ने मारपीट और नकद पैसे छीनने का आरोप लगाया था। पीड़ित व्यक्ति ने थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें दोनों पर आपराधिक धमकी देने का भी आरोप लगाया गया था।
कोर्ट का निर्णय
Bihar court sentences BJP MLA : मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें दो साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, दोनों पर प्रत्येक को ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि वे जुर्माना नहीं भरते हैं तो एक अतिरिक्त माह की जेल की सजा भुगतनी होगी।
मिश्री लाल यादव का बयान
Bihar court sentences BJP MLA: फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए विधायक मिश्री लाल यादव ने कहा:
“मैं अदालत के निर्णय का सम्मान करता हूँ, लेकिन इस फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दूंगा।”
यह बयान उनके कानूनी विकल्पों को खुला रखने की दिशा में संकेत देता है।
विधायकी पर मंडरा रहा संकट
Bihar court sentences BJP MLA: बिहार विधान सभा सचिवालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जैसे ही अदालत का फैसला औपचारिक रूप से सचिवालय को प्राप्त होगा, अयोग्यता की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। भारतीय संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, दो साल या उससे अधिक की सजा पाए विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है।
राजनीतिक असर (Effect of Bihar court sentences BJP MLA in Bihar Politics)
इस फैसले का असर स्थानीय राजनीति पर पड़ना तय है। विपक्ष इसे बीजेपी के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं बीजेपी की छवि को भी इससे झटका लग सकता है। साथ ही, अलीनगर क्षेत्र में स्थानीय जनप्रतिनिधित्व को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Bihar court sentences BJP MLA to 2 Years)
मिश्री लाल यादव और उनके सहयोगी को सजा मिलना यह दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह आम नागरिक हो या कोई जनप्रतिनिधि। हालांकि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हाई कोर्ट में यह मामला किस दिशा में जाता है और क्या मिश्री लाल यादव की विधायकी बच पाएगी या नहीं।