Black Carbon Heating Himalayan: एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हिमालय में ब्लैक कार्बन (Black Carbon) की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, जिससे बर्फ की सतह गर्म हो रही है और ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार बढ़ रही है। यह अध्ययन थिंक-टैंक “क्लाइमेट ट्रेंड्स” ने 2000 से 2023 के बीच के उपग्रह-आधारित आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित किया है।

हिमालयी बर्फ में बढ़ता ब्लैक कार्बन बना खतरे की घंटी
ब्लैक कार्बन, वाहनों, चूल्हों और लकड़ी जलाने जैसी गतिविधियों से निकलने वाला एक सूक्ष्म कार्बन कण होता है। यह कण जब बर्फ पर जम जाते हैं, तो सूर्य की किरणों को अवशोषित करते हैं, जिससे बर्फ की सतह गर्म होने लगती है और उसकी चमक या प्रतिबिंब क्षमता (अल्बेडो) कम हो जाती है।
पूर्वी हिमालय में सबसे गर्म बर्फ, ब्लैक कार्बन को ठहराया गया जिम्मेदार
अध्ययन के अनुसार, पूर्वी हिमालय की बर्फ सबसे अधिक गर्म पाई गई, इसके बाद मध्य और पश्चिमी हिमालय का स्थान रहा।
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2000 से 2009 के बीच बर्फ की औसत सतही तापमान -11.27°C था।
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जबकि 2020 से 2023 के बीच यह बढ़कर -7.13°C हो गया।
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पूरे 23 वर्षों की औसत सतह तापमान -8.57°C दर्ज की गई।
यह बदलाव ब्लैक कार्बन जैसे प्रकाश-अवशोषक कणों के कारण हुआ है, जो बर्फ की अल्बेडो को घटाकर उसे तेजी से गर्म करते हैं।
ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार बढ़ी, दो अरब लोगों की जल सुरक्षा पर संकट
अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि बर्फ की सतह का तापमान लगातार बढ़ने से:
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बर्फ के मौसम की अवधि कम हो रही है
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बर्फ के पिघलने की शुरुआत पहले हो रही है
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और यह सब मिलकर जल संसाधनों और नदियों के प्रवाह को असंतुलित कर सकता है, जिससे नीचे के इलाकों में रहने वाले करीब दो अरब लोगों की जल सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका पलक बलियान ने कहा:
“हिमालयी ग्लेशियरों का तेज़ी से पिघलना downstream क्षेत्रों में जल संकट को और बढ़ाएगा।”
तापमान बढ़ा, फिर भी हिमपात की गहराई में आया इज़ाफा—समझिए कैसे
Black Carbon Heating Himalayan: दिलचस्प बात यह रही कि तापमान बढ़ने के बावजूद, अध्ययन के अनुसार हिमपात की गहराई (Snow Depth) बढ़ी है:
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2000–2009: औसत गहराई 0.059 मीटर
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2020–2023: औसत गहराई 0.117 मीटर
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23 वर्षों की औसत गहराई 0.076 मीटर
इसका कारण बताया गया:
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बर्फबारी की बढ़ी हुई घटनाएं
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मौसमी वर्षा में बदलाव
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हवा के कारण बर्फ के पुनर्वितरण से मापन में अंतर
पश्चिमी हिमालय में सबसे अधिक बर्फ की गहराई पाई गई, जो इसकी ऊंचाई और पश्चिमी विक्षोभों से मिलने वाली सर्दियों की वर्षा का परिणाम है।
तालिका: हिमालयी क्षेत्रों में तापमान व बर्फ गहराई का तुलनात्मक आंकड़ा
क्षेत्र | औसत बर्फ सतही तापमान (2020–23) | औसत बर्फ गहराई (2020–23) | प्रमुख कारण |
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पूर्वी हिमालय | -5.69°C | सबसे कम | ब्लैक कार्बन स्रोतों के निकट |
मध्य हिमालय | -7°C के आसपास | औसत | मिश्रित जलवायु प्रभाव |
पश्चिमी हिमालय | -8°C से नीचे | सबसे अधिक | उच्च ऊंचाई, पश्चिमी विक्षोभ प्रभाव |
ब्लैक कार्बन के प्रमुख स्रोत और प्रभाव
ब्लैक कार्बन के प्रमुख स्रोत:
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जैव ईंधन का जलना (चूल्हे, बायोगैस, लकड़ी)
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वाहनों से निकलने वाला धुआं
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खुले में खेतों और जंगलों की आग
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 42% ब्लैक कार्बन उत्सर्जन का स्रोत जैव ईंधन है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में खेती और जंगलों की आग इसके प्रमुख कारण हैं। विशेष रूप से इंडो-गंगेटिक मैदानी क्षेत्र ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन के लिए हॉटस्पॉट बन गया है।
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निष्कर्ष: हिमालय की रक्षा के लिए समय रहते कदम जरूरी
ब्लैक कार्बन का हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।
अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो:
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जलवायु परिवर्तन और तेज़ होगा
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ग्लेशियरों का पिघलना और बढ़ेगा
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और नीचे के क्षेत्रों में बाढ़ और जल संकट जैसे खतरे बढ़ सकते हैं
हमें चाहिए कि प्रदूषण नियंत्रण, जैव ईंधन के विकल्प, और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से इस समस्या पर रोक लगाई जाए।