China Japan Tention – 10 जून 2025 को जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया ने पुष्टि की कि पहली बार दो चीनी विमानवाहक पोत—लिआओनिंग और शानडोंग—प्रशांत महासागर में एक साथ अलग-अलग स्थानों पर सैन्य गतिविधियाँ करते हुए देखे गए हैं। यह घटना सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर तब जब जापान और चीन के बीच समुद्री क्षेत्र को लेकर पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं।

प्रशांत महासागर में पहली बार दिखे चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर, जापान ने जताई चिंता
China Japan Tention – जापान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि यह गतिविधियाँ शनिवार को दर्ज की गईं जब चीन के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर्स जापान के सुदूर दक्षिणी द्वीपों के पास सक्रिय पाए गए। मंत्रालय के अनुसार, लिआओनिंग नामक विमानवाहक पोत जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर मिनामिटोरीशिमा द्वीप के पास समुद्र में देखा गया। यह द्वीप ईवो जिमा के पूर्व में स्थित है।
जापान का जवाब: राजनयिक संवाद और “उचित कदम”
China Japan Tention विदेश मंत्री इवाया ने बताया कि इस स्थिति को लेकर जापान ने बीजिंग के साथ संवाद किया है। चीन के टोक्यो स्थित दूतावास से संपर्क करके यह चिंता साझा की गई है। हालांकि, उन्होंने चीन की इस सैन्य गतिविधि की सीधी आलोचना करने से परहेज़ किया और कहा कि यदि ज़रूरत पड़ी तो “उचित कदम” उठाए जाएंगे।
उनके अनुसार, “हमने बीजिंग को स्पष्ट कर दिया है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं। हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से आवश्यक कार्रवाई करेंगे।”
चीन की रणनीति: शक्ति प्रदर्शन या चेतावनी?
China Japan Tention विशेषज्ञों के अनुसार, चीन का यह कदम महज़ सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति का प्रदर्शन भी हो सकता है। दो एयरक्राफ्ट कैरियर का एक साथ संचालन चीन की बढ़ती नौसैनिक क्षमता को दर्शाता है। लिआओनिंग और शानडोंग, दोनों चीन के प्रमुख विमानवाहक पोत हैं जो समुद्री सैन्य अभियानों में चीन की स्थिति को और मज़बूत करते हैं।
लिआओनिंग चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर है जो सोवियत संघ के एक अधूरे पोत को अधिग्रहीत करके तैयार किया गया था, जबकि शानडोंग पूरी तरह से चीन में निर्मित पहला विमानवाहक पोत है। इन दोनों का एक साथ उपयोग, विशेष रूप से जापान के पास, चीन की सैन्य और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की ओर इशारा करता है।
प्रशांत क्षेत्र में बढ़ता तनाव
China Japan Tention यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब पूरे प्रशांत क्षेत्र में सामरिक तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस जैसे देश चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन के कृत्रिम द्वीप निर्माण और नौसैनिक गश्तों को लेकर भी विवाद चल रहा है।
इस प्रकार चीन द्वारा दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स को एक साथ सक्रिय करना केवल सैन्य अभ्यास नहीं बल्कि रणनीतिक दबाव का संकेत माना जा सकता है।
जापान की चिंताएं व अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
जापान की विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में विदेशी सैन्य गतिविधियों को लेकर सख्त नियम हैं। जापान इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की चीनी उपस्थिति को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। हालांकि, चीन पहले भी इस क्षेत्र में अपनी नौसेना की मौजूदगी दिखाता रहा है, लेकिन पहली बार दो विमानवाहक पोतों की एक साथ उपस्थिति ने चिंताओं को और गहरा कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पर निगाहें टिकी हैं कि क्या चीन का यह कदम किसी बड़े भू-राजनीतिक बदलाव की शुरुआत है या यह सिर्फ सामरिक परीक्षण है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश निश्चित ही इस घटनाक्रम का विश्लेषण कर रहे होंगे।
निष्कर्ष: शक्ति संतुलन की नई चुनौती
यह घटना न केवल जापान बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए संकेत है कि चीन अब खुले तौर पर अपनी समुद्री शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। जापान के साथ चीन के संबंधों में यह एक और विवादास्पद मोड़ हो सकता है। आने वाले समय में इस तरह की गतिविधियाँ क्षेत्रीय कूटनीति और सुरक्षा रणनीतियों को प्रभावित कर सकती हैं।
मुख्य बिंदु सारांश :
बिंदु | विवरण |
---|---|
घटना | दो चीनी विमानवाहक पोत पहली बार प्रशांत महासागर में एक साथ सक्रिय |
तारीख | 8 जून 2025 को गतिविधियाँ देखी गईं, 10 जून को जापान ने पुष्टि की |
जहाज | लिआओनिंग और शानडोंग |
स्थान | जापान के EEZ के पास, मिनामिटोरीशिमा द्वीप के आस-पास |
जापान की प्रतिक्रिया | चीन से संवाद, ‘उचित कदम’ की चेतावनी |
वैश्विक महत्व | क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ी |
Source: The Hindu