डोनाल्ड ट्रंप से डरे यूरोपीय देश? अब अमेरिका से मांग रहे हैं अपना सोना! क्या कोई बड़ा संकट आने वाला है?
Europe Want Its Gold from USA – बीते कुछ वर्षों में दुनिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा हालातों में जिस तेजी से बदलाव आए हैं, उसने कई देशों को अपने पुराने फैसलों पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है। खासतौर पर यूरोपीय देशों में अब अमेरिका में जमा अपने सोने (Gold Reserves) को लेकर बेचैनी बढ़ रही है।

अमेरिका से सोना वापिस क्यों मांग रहे यूरोपीय देश? जानिए बढ़ते डर के पीछे की सच्चाई
गोल्ड: संकट का भरोसेमंद साथी
Europe Want Its Gold from USA – इतिहास गवाह है कि जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है, निवेशक और देश ‘गोल्ड’ की ओर भागते हैं। इसे सेफ हैवेन यानी सुरक्षित निवेश माना जाता है। 2022, 2023 और 2024—इन तीन वर्षों में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने हर साल 1000 टन से अधिक सोना खरीदा है, जो कि पिछले एक दशक के औसत 400-500 टन से दोगुना है।
ट्रंप की वापसी का डर या सोने की सुरक्षा की चिंता?
Europe Want Its Gold from USAअमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में संभावित वापसी को लेकर यूरोपीय देशों के बीच एक अजीब सा संकोच देखा जा रहा है। ट्रंप पहले भी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की स्वायत्तता पर सवाल उठाते रहे हैं। वे चाहते थे कि फेडरल बैंक व्हाइट हाउस के नियंत्रण में हो। इस आशंका ने यूरोपीय देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि यदि अमेरिका भविष्य में उनके सोने को लौटाने से मना कर दे, तो क्या होगा?
कौन-कौन से देश रख रहे हैं सोना अमेरिका में?
Europe Want Its Gold from USA – जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों का एक बड़ा हिस्सा सोना अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित फेडरल रिजर्व बैंक या लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड में सुरक्षित है। इसके पीछे ऐतिहासिक कारण हैं—जैसे कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की भूमिका।
Taxpayers Association of Europe (TAE) की खुली मांग
यूरोप के टैक्सपेयर्स संगठन TAE ने यह अपील की है कि यूरोपीय देशों को चाहिए कि वे अमेरिका में रखे अपने सोने का स्वतंत्र ऑडिट करवाएं या उसे वापस लाएं। उनका मानना है कि भले सोना यूरोप के बाहर रहे, लेकिन उस पर पूरा नियंत्रण और पारदर्शिता होनी चाहिए।
क्या ट्रंप सोने पर नियंत्रण चाहेंगे?
Europe Want Its Gold from USA – ऐसे कई मौके आए हैं जब जर्मनी जैसे देशों के प्रतिनिधियों को अमेरिकी तिजोरी में रखे सोने का निरीक्षण करने की इजाज़त तक नहीं मिली। यह सवाल उठता है कि अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने और किसी नई नीति के तहत विदेशी देशों को उनका सोना लौटाना “अनुचित” करार दे दिया गया तो क्या हालात बनेंगे?
कितना सोना है अमेरिका में?
सटीक आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक जर्मनी का लगभग आधा सोना न्यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक की 80 फीट गहरी तिजोरी में रखा है, जो मैनहैटन की चट्टानों के नीचे है। यह एक तरह से ‘ब्याज पर विश्वास’ का प्रतीक है।
गोल्ड की मांग क्यों तेज़ हो रही है?
आज की दुनिया महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है। यही कारण है कि गोल्ड, जो कभी केवल एक बैकअप माना जाता था, अब यूरोपीय सेंट्रल बैंक की रिपोर्ट के अनुसार यूरो से भी बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार बन चुका है।
निष्कर्ष
अमेरिका में ट्रंप की वापसी की संभावनाओं और वैश्विक अनिश्चितताओं ने यूरोपीय देशों को सतर्क कर दिया है। क्या सोने की इस वापसी के पीछे केवल डर है या कोई बड़ी रणनीति? आने वाले समय में इसका जवाब मिलेगा, लेकिन इतना तय है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से गोल्ड के इर्द-गिर्द घूम रही है।