Google DOJ Antitrust Conflict Case: 31 मई, 2025 को गूगल ने एक बड़ा ऐलान किया कि वह अमेरिकी अदालत द्वारा ऑनलाइन सर्च मार्केट में उसके वर्चस्व को खत्म करने के लिए दिए गए फैसले के खिलाफ अपील करेगा। इससे एक दिन पहले, अमेरिकी न्यायाधीश अमित मेहता ने ट्रायल के समापन पर अंतिम दलीलें सुनीं, जिसमें न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल के खिलाफ कड़ी कार्यवाहियों की मांग की थी।

गूगल बनाम अमेरिका – सर्च मोनोपॉली पर टकराव की नई कहानी
Google DOJ Antitrust Conflict Case यह मामला गूगल की कथित अवैध मोनोपॉली से जुड़ा है, जिसमें DOJ का आरोप है कि गूगल ने अपने सर्च इंजन और विज्ञापन सेवाओं पर अवैध कब्जा जमा रखा है। खासतौर पर Apple जैसी कंपनियों के साथ उसके अरबों डॉलर के सौदे — जिससे गूगल का डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बनना सुनिश्चित हुआ — प्रतियोगिता को सीमित कर रहे हैं।
न्याय विभाग का आरोप और गूगल का बचाव – क्या सच में खतरे में है प्रतिस्पर्धा?
Google DOJ Antitrust Conflict Case: DOJ का आरोप है कि गूगल ने अपनी ताकत का दुरुपयोग कर प्रतिस्पर्धा को दबा दिया है। उनके प्रस्ताव में Chrome ब्राउज़र को अलग करने, Android प्लेटफॉर्म को बेचे जाने, कुछ व्यावसायिक गतिविधियों पर अस्थायी रोक और एक “टेक्निकल कमेटी” के गठन की मांग शामिल है, जो गूगल की निगरानी करेगी।
इसके जवाब में, गूगल ने DOJ के उपायों को ‘अत्यधिक’ और ‘उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक’ बताया है। कंपनी का कहना है कि ऐसे उपायों से साइबर सुरक्षा पर खतरा बढ़ेगा, मोबाइल उपकरणों की लागत बढ़ेगी और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को खतरा होगा।
गूगल ने यह भी कहा कि DOJ द्वारा प्रस्तावित कमेटी सरकारी हस्तक्षेप का उदाहरण है जो यह तय करेगी कि किसे गूगल के उपयोगकर्ताओं का डेटा देखने की अनुमति होगी। कंपनी ने जोर देकर कहा कि वह अदालत के आदेशों का पालन करेगी, लेकिन वह अपने उत्पादों का नियंत्रण सरकार को नहीं सौंपेगी।
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एआई की एंट्री से बढ़ा विवाद – क्या गूगल फिर से एकाधिकार कर रहा है?
Google DOJ Antitrust Conflict Case: गूगल की नई सेवाएं, खासकर AI Overviews, जो अब गूगल सर्च के शीर्ष पर दिखाई देती हैं, प्रतिस्पर्धा पर नया प्रश्न चिह्न खड़ा कर रही हैं। न्याय विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या गूगल का प्रभुत्व केवल सर्च तक ही सीमित नहीं, बल्कि जनरेटिव एआई और लैंग्वेज मॉडल्स के क्षेत्र में भी फैल रहा है।
DOJ का यह भी तर्क है कि ऐसे में छोटे प्रतिद्वंद्वियों को आगे आने का मौका नहीं मिल रहा है। हालांकि गूगल ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ChatGPT, Claude और DeepSeek जैसे प्रतिस्पर्धी तेज़ी से बढ़ रहे हैं, और बाजार में तीव्र प्रतिस्पर्धा है।
गूगल की रेगुलेटरी अफेयर्स की उपाध्यक्ष ली-ऐन मुलहॉलैंड ने अपने ब्लॉग में लिखा: “DOJ का मुकदमा एक पिछली सोच का परिणाम है। आज नवाचार और प्रतिस्पर्धा के अभूतपूर्व समय में इस प्रकार के उपाय नुकसानदेह हैं।”
गूगल का भविष्य – अदालत की निगाहें और लंबा कानूनी संघर्ष
Google DOJ Conflict Case: अब जब कि दोनों पक्षों ने अपने-अपने प्रस्ताव कोर्ट के समक्ष रख दिए हैं, तो जज अमित मेहता गर्मी के महीनों में इनका अध्ययन करेंगे। माना जा रहा है कि वह सितंबर के पहले सोमवार (लेबर डे) से पहले इस पर फैसला सुना सकते हैं।
हालांकि गूगल इस निर्णय से असहमत है और वह इसे गलत मानता है, फिर भी वह कोर्ट के अगले आदेश तक इंतजार कर रहा है। कंपनी ने संकेत दिया है कि वह निर्णय आने के बाद अपील करेगी, जिससे यह कानूनी लड़ाई वर्षों तक चल सकती है।
गूगल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:“हमने यह सुना कि ये उपाय अमीर प्रतिद्वंद्वियों (जैसे बिंग) की कैसे मदद करेंगे, लेकिन उपभोक्ताओं को इससे क्या लाभ होगा, इस पर कुछ नहीं कहा गया।”
इस पूरे मामले का निष्कर्ष यही है कि गूगल की मोनोपॉली को चुनौती देने के लिए DOJ एक लंबी रणनीति पर काम कर रहा है, जबकि गूगल इसे तकनीकी नवाचार पर हमला मानता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दुनिया की सबसे बड़ी सर्च कंपनी अपने प्रभुत्व को बनाए रख पाती है या उसे मजबूरन अपने उत्पादों की री-डिजाइन करनी पड़ेगी।
निष्कर्ष:
Google DOJ Conflict Case: यह मामला केवल एक कंपनी बनाम सरकार की कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी बहस है कि टेक्नोलॉजी कंपनियों को कितना स्वतंत्र होना चाहिए, और उपभोक्ताओं को किस हद तक सुरक्षित विकल्प मिलना चाहिए। आने वाले महीनों में इस फैसले का असर वैश्विक टेक्नोलॉजी उद्योग पर पड़ेगा।