भारतवर्ष में अनेक पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें कुछ ऐसे भी होते हैं जो धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष होते हैं। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा ही पर्व है, जो गुरु-शिष्य परंपरा और ज्ञान के प्रति श्रद्धा को समर्पित है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा 2025: जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका आध्यात्मिक महत्व
यह दिन उस पवित्र बंधन को समर्पित होता है जिसमें गुरु अपने शिष्य को अज्ञानता से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। आइए जानें, गुरु पूर्णिमा 2025 में कब है, पूजा विधि क्या है, शुभ मुहूर्त क्या होगा और इसका क्या महत्व है।
गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि
गुरु पूर्णिमा की तिथि: गुरुवार, 10 जुलाई 2025
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 10 जुलाई, रात 01:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई, रात 02:06 बजे
इस दिन पूरे भारत में श्रद्धालु अपने गुरुजनों का सम्मान करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और उनकी शिक्षाओं को जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
️ गुरु पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा पर पूजा के लिए निम्नलिखित मुहूर्त अत्यंत शुभ माने जाते हैं:
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:10 से 04:50
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:54
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विजय मुहूर्त: दोपहर 12:45 से 03:40
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गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:21 से 07:41
इन विशेष मुहूर्तों में पूजा करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है और गुरु की कृपा सदा बनी रहती है।
पूजा विधि (Guru Purnima Puja Vidhi)
गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
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प्रातः स्नान करें: सूर्योदय से पहले स्नान करें। यदि संभव हो तो नदी या पवित्र जल में स्नान करें, अन्यथा गंगाजल मिलाकर घर पर स्नान करें।
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स्वच्छ वस्त्र धारण करें: सफेद या पीले वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है।
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पूजा सामग्री एकत्र करें: फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, जल, चंदन, तुलसी के पत्ते आदि।
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वेद व्यास की पूजा करें: भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और महागुरु वेद व्यास जी की विशेष पूजा की जाती है। चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
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तुलसी के पत्ते चढ़ाएं: भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी आवश्यक मानी जाती है। बिना तुलसी पूजा अधूरी मानी जाती है।
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गुरु का पूजन करें: अपने गुरु या गुरु तुल्य व्यक्ति का पूजन कर आशीर्वाद लें।
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चंद्र पूजन करें: रात में चंद्र दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं।
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
गुरु पूर्णिमा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास को महाभारत के रचयिता और वेदों को चार भागों में विभाजित करने वाला महान गुरु माना जाता है।
वे न केवल ऋषि बल्कि एक आध्यात्मिक गुरु भी थे, जिन्होंने मानव समाज को धर्म, ज्ञान और नीति का मार्ग दिखाया। इसीलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
गुरु का स्थान भारतीय संस्कृति में ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। एक गुरु ही होता है जो अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः” मंत्र में गुरु को त्रिदेवों के समान बताया गया है।
निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में किसी गुरु का होना कितना आवश्यक है। वह गुरु ही है जो हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर, मोह से मोक्ष की ओर और असत्य से सत्य की ओर ले जाता है।
गुरु पूर्णिमा 2025 की संक्षिप्त जानकारी:
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तिथि: 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)
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पूजा मुहूर्त: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त से गोधूलि वेला तक
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विशेष पूजन: वेद व्यास, विष्णु, लक्ष्मी एवं अपने गुरु का पूजन
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महत्व: ज्ञान, भक्ति और गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व
इस पावन अवसर पर अपने जीवन के सभी गुरुओं को नमन करें और उनकी शिक्षा को जीवन में आत्मसात करें।