Hamir ji Gohil : भारतीय सिनेमा में वीरता और भक्ति का अनूठा संगम लेकर एक नई फिल्म ‘केसरी वीर’ शुक्रवार को रिलीज हुई। यह फिल्म केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं, बल्कि एक ऐसे सच्चे योद्धा की जीवनी है, जिसने सिर्फ 16 साल की उम्र में मुगलों को चुनौती दी और वीरगति को प्राप्त हुए। फिल्म में सूरज पंचोली, सुनील शेट्टी और विवेक ओबेरॉय जैसे कलाकार हैं, लेकिन असली नायक हैं – हमीरजी गोहिल।

केसरी वीर हमीरजी गोहिल: एक सच्चा शिवभक्त योद्धा
हमीरजी गोहिल का नाम शायद बहुतों ने पहले नहीं सुना हो, लेकिन उनका बलिदान और वीरता सौराष्ट्र की धरती में आज भी गूंजते हैं। यह कहानी उस साहसी योद्धा की है, जो न केवल एक बहादुर राजपूत था, बल्कि शिवभक्ति का प्रतीक भी।
कौन थे Hamir ji Gohil ?
हमीरजी गोहिल, सौराष्ट्र के लाठी क्षेत्र के राजा भीमजी गोहिल के पुत्र थे। उनका जन्म 16वीं शताब्दी में ढोला (आज के गुजरात के भावनगर जिले में) हुआ था। हमीरजी एक राजपूत योद्धा के रूप में जन्मे थे और बचपन से ही उन्हें शस्त्रविद्या, धर्म और युद्धनीति की शिक्षा मिली।
वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और हर युद्ध से पहले रुद्राभिषेक करना उनकी आदत थी। उनके अनुसार युद्ध का उद्देश्य विजय नहीं बल्कि धर्म की रक्षा थी। उनका जीवन एक सच्चे सनातनी योद्धा का उदाहरण था।
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16 वर्ष की आयु में मुगलों को दी चुनौती
जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना सोमनाथ मंदिर को लूटने के इरादे से सौराष्ट्र पहुंची, तब केवल 16 साल के Hamir ji Gohil ने वीरता का ऐसा परिचय दिया, जिसे इतिहास आज भी याद करता है। मुगलों की विशाल सेना के सामने, उन्होंने आत्मसमर्पण से इनकार कर दिया और गर्जना करते हुए कहा –
“शिव के भक्त सिर्फ शीश चढ़ाते हैं, झुकाते नहीं!”
ढोला की धरती पर हुए युद्ध में उन्होंने सैकड़ों मुगलों को मौत के घाट उतार दिया। अंतिम सांस तक युद्ध करते हुए, वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनके बलिदान ने न केवल सोमनाथ मंदिर की रक्षा की, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को धर्म और मातृभूमि के लिए समर्पण का सन्देश भी दिया।
हमीरजी की वीरता और भक्ति
हमीरजी गोहिल की वीरता और उनकी भक्ति दोनों ही अत्यंत प्रेरणादायक हैं। युद्ध उनके लिए केवल राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि धर्मयुद्ध था। हर युद्ध में वे शिव का आह्वान करते और अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य ‘धर्म रक्षा’ मानते थे।
उनकी भक्ति और तपस्या इतनी प्रबल थी कि दुश्मन भी उनका सम्मान करते थे। आज भी गोहिल समाज और राजपूत समुदाय उन्हें एक महान योद्धा और संत के रूप में पूजता है।
केसरी वीर फिल्म – एक ऐतिहासिक पुनर्जागरण Hamir ji Gohil Story
आज जब यह कहानी फिल्म ‘केसरी वीर’ के माध्यम से आम जनता तक पहुंची है, तो यह केवल एक मनोरंजन नहीं बल्कि नई पीढ़ी के लिए इतिहास से सीखने का माध्यम बन गया है। फिल्म में भगवा वस्त्रों में सजा हमीरजी, शिवभक्ति की भस्म से अलंकृत चेहरा और आंखों में देश के लिए प्रतिशोध – यह सब देखना आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहा है।
फिल्म समीक्षकों ने इस फिल्म की प्रशंसा की है और सोशल मीडिया पर भी इसकी जमकर चर्चा हो रही है। यह फिल्म बताती है कि कैसे एक सोलह साल का लड़का देश और धर्म के लिए प्राण त्याग सकता है।
निष्कर्ष (Hamir ji Gohil A Hero)
हमीरजी गोहिल केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि एक आदर्श थे – एक ऐसे योद्धा, जिनकी भक्ति, बहादुरी और बलिदान ने भारत की मिट्टी को गौरवान्वित किया। आज जब ‘केसरी वीर’ जैसी फिल्में इतिहास को पुनर्जीवित कर रही हैं, तो यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने महान पूर्वजों को याद करें और उनकी प्रेरणा से देश और धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।
हमीरजी की कहानी बताती है कि एक सच्चा वीर वही है जो धर्म के लिए लड़ता है, सिर कटवाता है पर कभी झुकता नहीं।