IMA opposes proposed integrated MBBS-BAMS: भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने पुडुचेरी के JIPMER संस्थान में प्रस्तावित एकीकृत MBBS-BAMS कोर्स की योजना का कड़ा विरोध किया है। IMA ने इस कदम को “दुर्भाग्यपूर्ण” और “अवैज्ञानिक” बताया है। उनके अनुसार, आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेद को एक साथ मिलाकर पढ़ाना, न तो डॉक्टरों के हित में है और न ही रोगियों के।
IMA का कहना है कि MBBS और BAMS दो पूरी तरह से अलग चिकित्सा प्रणालियाँ हैं और इनका एक साथ मिश्रण करना स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को एक सदी पीछे धकेल सकता है।

सरकार की नई योजना पर IMA का एतराज, कहा- ‘मिक्सोपैथी’ से होगा नुकसान
IMA opposes proposed integrated MBBS-BAMS: IMA ने केंद्र सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाए हैं जिसमें आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा को एकीकृत पाठ्यक्रम में लाने की बात की गई है। यह प्रयोगात्मक कदम पुडुचेरी के प्रतिष्ठित संस्थान JIPMER से शुरू होने वाला है।
IMA ने बयान में कहा,
“यह ‘मिक्सोपैथी’ (विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का मिश्रण) रोगियों के उपचार के अधिकार को छीनने जैसा है। इससे न तो योग्य डॉक्टर बनेंगे, न प्रभावी उपचार होगा।”
IMA ने यह भी कहा कि ऐसी नीतियाँ भारत की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर करेंगी और ‘हाइब्रिड डॉक्टरों’ की एक ऐसी पीढ़ी पैदा करेंगी जिनकी विशेषज्ञता अधूरी होगी।
IMA ने जताई चिंता: आयुर्वेद को भी होगा भारी नुकसान
IMA opposes proposed integrated MBBS-BAMS: IMA का मानना है कि यह फैसला आयुर्वेद के लिए भी घातक साबित हो सकता है। उनका तर्क है कि जिस प्रकार चीन में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा को मिलाकर प्रयोग किया गया था, वह पूरी तरह असफल रहा और इससे उनकी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली कमजोर हो गई।
IMA ने कहा,
“भारत के पास 779 मेडिकल कॉलेज और हर साल 1,36,000 से अधिक MBBS डॉक्टरों की मजबूत श्रृंखला है। हमें इस मज़बूती को बिना सोचे-समझे कदम उठाकर नहीं खोना चाहिए।”
- Also Read – 50 साल बाद ब्रिटेन ने मॉरिशस को क्यों सौंपा द्वीप? डिएगो गार्सिया पर 99 साल की लीज़ का क्या है मतलब?
स्वास्थ्य में आधुनिक चिकित्सा की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता: IMA
IMA opposes proposed integrated MBBS-BAMS: IMA ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की औसत जीवन प्रत्याशा 1947 में 32 वर्ष से बढ़कर 2025 में 70.8 वर्ष तक पहुँच गई है। इस प्रगति का श्रेय टीकाकरण, ऐंटीबायोटिक्स, आधुनिक प्रसूति देखभाल, और हृदय रोग व कैंसर की उन्नत चिकित्सा को जाता है।
उन्होंने कहा कि:
-
टीबी, प्लेग, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियों से लड़ने में आधुनिक दवाएं कारगर रहीं।
-
इंसुलिन, उच्च रक्तचाप की दवाएं, और स्ट्रोक की रोकथाम में आधुनिक चिकित्सा का अहम योगदान रहा।
तालिका: MBBS और BAMS कोर्स की तुलना
विशेषता | MBBS | BAMS |
---|---|---|
पूर्ण नाम | बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी | बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी |
कोर्स अवधि | 5.5 वर्ष (1 वर्ष इंटर्नशिप सहित) | 5.5 वर्ष (1 वर्ष इंटर्नशिप सहित) |
प्रमुख फोकस | एलोपैथिक चिकित्सा, सर्जरी, आपात चिकित्सा | आयुर्वेद, पंचकर्म, प्राकृतिक उपचार |
पद्धति | विज्ञान आधारित, आधुनिक परीक्षण व इलाज | पारंपरिक भारतीय औषधियाँ, जड़ी-बूटियाँ |
चिकित्सा का क्षेत्र | हॉस्पिटल, सर्जरी, आपात चिकित्सा, रिसर्च | आयुर्वेदिक अस्पताल, प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र |
पाठ्यक्रम एकीकरण की स्थिति | प्रस्तावित संयुक्त पाठ्यक्रम से विवादित | IMA और विशेषज्ञों का विरोध |
निष्कर्ष: चिकित्सा प्रणाली की शुद्धता बनाए रखना ज़रूरी
IMA opposes proposed integrated MBBS-BAMSL IMA का यह स्पष्ट मानना है कि प्रत्येक चिकित्सा प्रणाली की अपनी अलग पहचान और मूल्य है, और उन्हें मिलाना एक गंभीर भूल होगी।
IMA ने सरकार से अपील की है कि वह इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करे और यदि ऐसा नहीं होता है, तो वे जनता को विश्वास में लेकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इस पूरे मामले में IMA का उद्देश्य भारत की चिकित्सा गुणवत्ता को बनाए रखना और रोगियों को सही व सुरक्षित उपचार उपलब्ध कराना है।
Source: The Hindu