ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की जंगी तैयारी: सेना ने 2000 करोड़ में खरीदा युद्धक सामान
India Buy weapon after operation sindoor- 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ढांचों के खिलाफ 6-7 मई को ऑपरेशन सिंदूर नाम से सैन्य कार्रवाई शुरू की थी। इस जवाबी ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित 8 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह किया गया। इसके बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल से भारत पर हमला किया, जिसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने 11 पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना की बड़ी तैयारी: 2000 करोड़ के हथियारों की इमरजेंसी खरीद
India Buy weapon after operation sindoor इस सैन्य टकराव के बाद भारत ने भले ही अस्थायी रूप से सैन्य कार्रवाई को रोका हो, लेकिन सरकार और सेना ने साफ कर दिया कि अगली किसी भी आतंकी हरकत को युद्ध माना जाएगा। इसी रणनीतिक सोच के तहत भारतीय सेना ने अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों को और धारदार बनाने के लिए करीब 2000 करोड़ रुपये की आपातकालीन रक्षा खरीद की है।
क्या है यह 2000 करोड़ की खरीद?
India Buy weapon after operation sindoor भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कुल 13 अनुबंध अंतिम रूप दिए हैं। इन अनुबंधों की कुल लागत 1981.90 करोड़ रुपये है, और इनका उद्देश्य सेना को अत्याधुनिक हथियारों और रक्षा उपकरणों से लैस करना है।
यह खरीद आपातकालीन प्रोक्योरमेंट (Emergency Procurement) की श्रेणी में की गई है, जिससे सेना को हथियारों की खरीद की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ा।
इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट क्यों जरूरी है?
India Buy weapon after operation sindoor आमतौर पर सैन्य हथियारों की खरीद एक जटिल और लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें कई महीनों से लेकर सालों तक लग सकते हैं। लेकिन जब सीमा पर तनाव बढ़ता है या आतंकी खतरा बढ़ता है, तो सेना को तत्काल आधुनिक और प्रभावी हथियारों की जरूरत होती है।
आपातकालीन खरीद प्रणाली (Fast Track Procedure) इसी जरूरत को पूरा करती है, जिससे बिना देरी के जरूरी हथियार सीधे सेना को उपलब्ध कराए जा सकें।
क्या-क्या खरीदा गया?
रक्षा मंत्रालय ने जिन प्रमुख हथियारों और उपकरणों की खरीद की है, वे इस प्रकार हैं:
श्रेणी | उपकरण / हथियार |
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ड्रोन सुरक्षा | यूनिफाइड ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS) |
रडार | हल्के वजन के निम्न-स्तरीय रडार (LLLR) |
वायु रक्षा | बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) |
हवाई निगरानी | दूर से संचालित हवाई वाहन (UAV) |
विशेष हमला | वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग सिस्टम वाले लोइटरिंग म्यूनिशन |
हमलावर ड्रोन | विभिन्न श्रेणियों के आधुनिक ड्रोन |
सैनिक सुरक्षा | बुलेटप्रूफ जैकेट और बैलिस्टिक हेलमेट |
ग्राउंड ऑपरेशन्स | क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (QRAV) – भारी और मध्यम श्रेणी |
राइफल टेक्नोलॉजी | नाइट विजन डिवाइस |
क्यों जरूरी थी यह खरीद?
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पहलगाम हमले के बाद भारत की रणनीति बदल गई है। अब कोई भी आतंकी हमला सीधे युद्ध का संकेत माना जाएगा।
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भारतीय सेना को अब ऐसे हथियारों की जरूरत है जो तेजी से प्रतिक्रिया, रात में ऑपरेशन, और ड्रोन हमलों से सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपट सकें।
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इसीलिए यह इमरजेंसी खरीद की गई ताकि सेना आतंकवादियों को न सिर्फ जवाब दे सके, बल्कि हर हालात में ऑपरेशन को अंजाम दे सके।
ऑपरेशन सिंदूर का संदेश और असर
ऑपरेशन सिंदूर ने साफ संकेत दे दिया है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देगा, बल्कि जवाब से पहले की योजना पर काम करेगा। यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था — भारत अब आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत की इस नई नीति को मजबूती देने के लिए जरूरी था कि सेना को हर मोर्चे पर तैयार किया जाए। इसी सोच के साथ यह 2000 करोड़ रुपये की खरीद की गई है।
निष्कर्ष
भारत की इस सैन्य खरीद ने एक बात साफ कर दी है—अब आतंकवाद के खिलाफ युद्ध तेज, सटीक और तकनीकी रूप से उन्नत होगा। सेना को आधुनिक ड्रोन, मिसाइल, हेलमेट, जैकेट और विजन डिवाइसेस जैसे अत्याधुनिक उपकरण देकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।
भविष्य में अगर भारत पर कोई आतंकी हमला होता है, तो भारतीय सेना उसके जवाब में सिर्फ ऑपरेशन नहीं, बल्कि रणनीतिक युद्ध नीति अपनाएगी।
भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि हर खतरे को पहले ही खत्म करने की तैयारी में है। यही है ऑपरेशन सिंदूर के बाद की असली रणनीति।