India in Global Gender Gap Index List: विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2025 में भारत दो पायदान नीचे फिसल कर 148 देशों में 131वें स्थान पर आ गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का समग्र लैंगिक समानता स्कोर सिर्फ 64.1% रहा है, जो दक्षिण एशिया के देशों में सबसे निचले स्तर पर है।
भारत ने 2024 में 129वां स्थान प्राप्त किया था, लेकिन इस वर्ष 2025 में उसकी रैंकिंग और गिर गई है। यह रिपोर्ट 12 जून, 2025 को जारी की गई और इसने भारत में स्त्री-पुरुष समानता की स्थिति को लेकर कई अहम बातें उजागर कीं।

भारत का लैंगिक असंतुलन उजागर: शिक्षा में प्रगति, राजनीति में गिरावट
चार प्रमुख क्षेत्रों में आकलन
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स चार प्रमुख क्षेत्रों में लैंगिक समानता का मूल्यांकन करता है:
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आर्थिक सहभागिता और अवसर
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शैक्षिक उपलब्धि
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स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
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राजनीतिक सशक्तिकरण
India in Global Gender Gap Index List आर्थिक भागीदारी में थोड़ा सुधार
India in Global Gender Gap Index List – रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्र में भारत की स्थिति में +0.9 प्रतिशत अंक की सुधार दर्ज हुई है, जिससे स्कोर 40.7% हो गया है। महिलाओं की अनुमानित आय में भी सुधार हुआ है, जो 28.6% से बढ़कर 29.9% हो गई है।
हालांकि, श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी का स्तर 45.9% पर स्थिर बना हुआ है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
शिक्षा में सकारात्मक प्रगति
India in Global Gender Gap Index List – शैक्षिक उपलब्धि में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है। स्कोर 97.1% रहा है, जिसमें महिला साक्षरता और उच्च शिक्षा में प्रवेश के आंकड़े विशेष योगदान दे रहे हैं। यह संकेत करता है कि लड़कियों की शिक्षा में निरंतर सुधार हो रहा है, जो लंबे समय में सामाजिक बदलाव ला सकता है।
स्वास्थ्य और जीवन रक्षा में बेहतरी
India in Global Gender Gap Index List -स्वास्थ्य और जीवन रक्षा के क्षेत्र में भी भारत की स्थिति में हल्का सुधार आया है। लिंगानुपात और हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी में संतुलन बढ़ा है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि जीवन प्रत्याशा में पुरुषों और महिलाओं दोनों की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन संतुलन फिर भी बरकरार रहा है।
️ राजनीति में गिरावट, बड़ी चिंता
India in Global Gender Gap Index List – सबसे अधिक गिरावट राजनीतिक सशक्तिकरण में दर्ज की गई है। महिलाओं की संसद में हिस्सेदारी 2024 के 14.7% से घटकर 2025 में 13.8% हो गई है। इसी तरह, मंत्री पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी 6.5% से गिरकर 5.6% रह गई है। यह स्तर 2019 के सर्वाधिक 30% से बहुत नीचे है।
इस गिरावट से स्पष्ट है कि भारत में राजनीतिक नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी घट रही है, जो समग्र लैंगिक समानता स्कोर को प्रभावित कर रहा है।
दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति
India in Global Gender Gap Index List –दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति भी चिंताजनक है। बांग्लादेश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 75 रैंक की छलांग लगाई है और 24वें स्थान पर पहुंच गया है।
अन्य देशों की रैंकिंग निम्न है:
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नेपाल: 125
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श्रीलंका: 130
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भूटान: 119
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मालदीव: 138
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पाकिस्तान: 148 (अंतिम स्थान)
भारत सिर्फ पाकिस्तान और मालदीव से ऊपर है, जो क्षेत्रीय चिंता को और बढ़ाता है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
ग्लोबल स्तर पर रिपोर्ट बताती है कि लैंगिक समानता का अंतर अब 68.8% तक भर चुका है, जो कि कोविड-19 महामारी के बाद सबसे बड़ा वार्षिक सुधार है। फिर भी, यदि प्रगति की यही गति बनी रही, तो पूर्ण समानता प्राप्त करने में अभी भी 123 वर्ष लग सकते हैं।
आइसलैंड लगातार 16वें वर्ष शीर्ष स्थान पर है, उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, यूनाइटेड किंगडम और न्यूजीलैंड जैसे देश आते हैं।
नेतृत्व में अब भी असमानता
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक कार्यबल में महिलाएं 41.2% हिस्सा रखती हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व पदों पर उनकी भागीदारी सिर्फ 28.8% है। इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं के लिए निर्णयात्मक भूमिकाओं में अब भी व्यापक असमानता बनी हुई है।
भारत और वैश्विक जेंडर गैप 2025 रिपोर्ट –
श्रेणी | विवरण |
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रिपोर्ट का नाम | ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2025 |
जारी करने वाली संस्था | विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) |
कुल देश शामिल | 148 |
भारत की रैंक | 131वां |
पिछले वर्ष की रैंक | 129वां |
भारत का कुल स्कोर | 64.1% |
सर्वोत्तम प्रदर्शन वाला देश | आइसलैंड (1वां स्थान) |
दक्षिण एशिया में भारत की रैंक | तीसरे स्थान से नीचे |
भारत की सर्वश्रेष्ठ श्रेणी | शिक्षा (स्कोर: 97.1%) |
भारत की सबसे कमजोर श्रेणी | राजनीतिक सशक्तिकरण (महिला सांसद: 13.8%) |
वैश्विक औसत लैंगिक समानता | 68.8% |
पूर्ण समानता तक अनुमानित समय | 123 वर्ष |
निष्कर्ष (India in Global Gender Gap Index List)
भारत जैसे देश, जहां महिलाओं ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी प्रगति की है, वहां राजनीतिक भागीदारी और नेतृत्व में गिरावट चिंता का विषय है।
विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया ज़ाहिदी ने कहा,
“जो देश लैंगिक समानता की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहे हैं, वे अधिक नवोन्मेषी, लचीले और मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहे हैं।”
यदि भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहना है, तो उसे महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में सुनिश्चित करनी होगी।