India industrial production 2026: वित्तीय वर्ष 2026 की शुरुआत भारत के औद्योगिक क्षेत्र के लिए धीमी गति से हुई है। अप्रैल 2026 में भारत की फैक्ट्री उत्पादन दर, जो मासिक “औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)” के माध्यम से मापी जाती है, घटकर केवल 2.7% रह गई। यह पिछले साल अप्रैल की 5.2% वृद्धि की तुलना में लगभग आधी है और पिछले आठ महीनों में सबसे कम आंकड़ा है।

अप्रैल 2026 में औद्योगिक उत्पादन गिरा, आठ महीने में सबसे निचला स्तर
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आठ मुख्य क्षेत्रों का मासिक सूचकांक भी केवल 0.5% वृद्धि दर्शाता है, जो स्वयं पिछले अप्रैल की 6.9% वृद्धि की तुलना में भारी गिरावट है। चूंकि ये आठ मुख्य क्षेत्र IIP में लगभग 40% का भार रखते हैं, यह गिरावट व्यापक औद्योगिक मंदी की ओर इशारा करती है।
खनन और बिजली क्षेत्र में गिरावट, निर्माण भी धीमा पड़ा
खनन क्षेत्र में अप्रैल 2026 में -0.2% की गिरावट दर्ज की गई, जो अगस्त 2024 के बाद पहली बार संकुचन (contraction) है। हालाँकि वित्तीय वर्ष 2015 में भारत का खनिज निर्यात $25 बिलियन था जो 2025 में बढ़कर $42 बिलियन हुआ, फिर भी इसका निर्यात में कुल हिस्सा 8.1% से घटकर 5.1% रह गया है।
बिजली उत्पादन भी 1.1% पर आ गया, जो पिछले साल अप्रैल में 10.2% था। वहीं निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर घटकर 3.4% रह गई, जो पिछले साल 4.2% थी। यह संकेत देता है कि न केवल निर्यात, बल्कि घरेलू उत्पादन भी व्यापार और कर से संबंधित अनिश्चितताओं से प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीण उपभोग पर मंदी का असर, लगातार तीसरे महीने घटा उपभोक्ता गैर-टिकाऊ उत्पादों का उत्पादन
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं (Consumer Non-Durables) का उत्पादन लगातार तीसरे महीने गिरा है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग की मांग में अभी भी कमजोरी है, भले ही खुदरा महंगाई अप्रैल 2026 में 3.16% के छह साल के निचले स्तर पर आ गई हो।
खाद्य वस्तुओं की कीमतें भी लगातार छठे महीने गिरी हैं और अप्रैल में 2.14% तक की गिरावट दर्ज की गई। इससे मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे दाम देखने को मिले हैं। सरकार को ज़रूरत है कि MSP नीति को और प्रभावी बनाकर ग्रामीण आय बढ़ाई जाए ताकि उपभोग को प्रोत्साहन मिले।
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पूंजीगत वस्तुओं में 20% की वृद्धि, निवेशकों में घरेलू अर्थव्यवस्था पर भरोसा
हालाँकि समग्र औद्योगिक उत्पादन कमजोर रहा, पूंजीगत वस्तुओं (Capital Goods) के उत्पादन में अप्रैल 2026 में 20.3% की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बना हुआ है और वे घरेलू निवेश पर जोर दे रहे हैं, विशेष रूप से अमेरिकी बाजारों पर निर्भरता घटाने के प्रयास में।
इस सकारात्मक संकेत को देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह निजी क्षेत्र को घरेलू पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करे। इससे रोजगार सृजन, आय में वृद्धि और अंततः उपभोग मांग को बल मिलेगा। साथ ही, निर्यात-आधारित उद्योगों को भी अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से परे विस्तार करने की जरूरत है ताकि वे वैश्विक अस्थिरता से खुद को सुरक्षित रख सकें।
सारणी: अप्रैल 2025 और अप्रैल 2026 के प्रमुख औद्योगिक आंकड़ों की तुलना
क्षेत्र | अप्रैल 2025 | अप्रैल 2026 | परिवर्तन दर |
---|---|---|---|
औद्योगिक उत्पादन (IIP) | 5.2% | 2.7% | -2.5% |
आठ मुख्य क्षेत्र | 6.9% | 0.5% | -6.4% |
खनन | 1.9% | -0.2% | -2.1% |
निर्माण | 4.2% | 3.4% | -0.8% |
बिजली | 10.2% | 1.1% | -9.1% |
पूंजीगत वस्तुएँ | 3.7% | 20.3% | +16.6% |
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ उत्पाद | -1.1% | गिरावट जारी | — |