भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीमा पर बढ़ते तनाव ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। एक तरफ भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी को जासूसी के आरोप में निष्कासित किया, वहीं जवाबी कदम के तहत पाकिस्तान ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी को 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया।

भारत-पाक संघर्षविराम: सुरक्षा समिति की बैठक और राजनयिक निष्कासन के बीच तनाव
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) की एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में सीमा पर सुरक्षा स्थिति, सैनिकों की तैनाती, खुफिया सूचनाएं और पाकिस्तान की हालिया गतिविधियों पर गंभीर मंथन हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मंगलवार, 13 मई 2025 को शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर सीमा की स्थिति की विस्तृत समीक्षा की।
विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि पकड़े गए पाकिस्तानी अधिकारी को “पर्सोना नॉन ग्राटा” (अवांछनीय व्यक्ति) घोषित कर देश छोड़ने को कहा गया। उसे 24 घंटे के भीतर भारत से निकलने का आदेश दिया गया। इस निर्णय की सूचना भारत ने पाकिस्तान के प्रभारी राजदूत सआद वरीच को एक आधिकारिक नोट (डेमार्शे) के माध्यम से दी।
उधर, पाकिस्तान की सेना ने बयान जारी कर कहा कि भारत द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान उनके 11 सैनिक मारे गए हैं और 78 घायल हुए हैं। इस अभियान के तहत भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तान की गोलीबारी से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जाना। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि सीमावर्ती गांवों में रह रहे नागरिकों के लिए स्थायी सुरक्षा इंतज़ाम किए जाएं।
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर अपने इस रुख को दोहराया कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा एक द्विपक्षीय मामला है, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी बातचीत के ज़रिए ही सुलझाया जा सकता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कश्मीर को अपने आंतरिक मामलों का हिस्सा मानता है और इसमें बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता।
इस पूरी घटना से साफ है कि भारत अपनी सुरक्षा, सम्मान और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने के मूड में नहीं है। जहां एक ओर सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं देश के नेतृत्व ने भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत शांति चाहता है लेकिन किसी भी उकसावे का जवाब पूरी ताकत से देगा।