India should focus on china not pakistan: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराया, लेकिन इस बार वैश्विक प्रतिक्रिया कुछ अलग रही। पश्चिमी देशों, रूस और यहां तक कि चीन ने भी आतंकवाद की निंदा की और भारत के साथ सहानुभूति जताई।
इस बीच, ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ डॉ. वाल्टर लैडविग ने भारत को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है – अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान को नजरअंदाज करे और चीन पर रणनीतिक रूप से केंद्रित हो।

भारत को पाकिस्तान नहीं, चीन पर केंद्रित रहना चाहिए: ब्रिटिश विशेषज्ञ का रणनीतिक सुझाव
भारत-पाक संबंधों की जगह हिंद-प्रशांत में भूमिका पर जोर
डॉ. लैडविग ने स्पष्ट किया कि अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति वर्षों से यह रही है कि भारत को एक रणनीतिक शक्ति के रूप में उभारा जाए, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में। उन्होंने कहा,
“भारत को पाकिस्तान के साथ दीर्घकालिक तनाव में उलझने के बजाय, चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में अपनी भूमिका पर ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की लगभग 7% आर्थिक वृद्धि दर अमेरिका के लिए आशाजनक है। लेकिन पाकिस्तान के साथ बार-बार के संघर्ष इस विकास की गति को प्रभावित कर सकते हैं, जो अमेरिका समेत कई देशों के हितों के विपरीत है।
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आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन और भारत की निर्णायक कार्रवाई
डॉ. लैडविग ने कहा कि पहलगाम हमले में 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत की कार्रवाई को वैश्विक समर्थन मिला।
इस बार भारत को डोजियर या सबूत जुटाने की ज़रूरत नहीं पड़ी, जैसा कि पुलवामा हमले के बाद हुआ था। उन्होंने कहा:
“भारत की रणनीति में अब स्पष्टता और आत्मविश्वास है। वैश्विक समुदाय अब भारत की सीधी और निर्णायक कार्रवाई को समझने लगा है।”
उनका यह भी मानना है कि भारत का यह बदला हुआ रुख न सिर्फ सैन्य दृष्टि से, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी प्रभावशाली बनता जा रहा है।
भारतीय वायुसेना की क्षमता पर विदेशी एक्सपर्ट की मुहर
डॉ. लैडविग ने भारतीय वायुसेना की ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई की विशेष रूप से सराहना की।
उन्होंने कहा,
“भारतीय वायुसेना ने स्टैंडर्ड मिलिट्री प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए सटीक हमले किए। ऑपरेशन की योजना में स्पष्टता थी, जो यह दर्शाता है कि भारत अब सीमित नहीं, बल्कि व्यापक और सफल सैन्य कार्रवाई करने की स्थिति में है।”
उन्होंने कहा कि भारत के दावे विजुअल और टेक्निकल प्रमाणों से समर्थित हैं, जबकि पाकिस्तान केवल बयानबाजी करता नजर आया।
भारत-पाक संघर्ष क्यों नहीं चाहता अमेरिका?
डॉ. लैडविग ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को अमेरिका के रणनीतिक हितों के लिए हानिकारक बताया।
उन्होंने कहा कि यदि भारत सीमाई संघर्षों में उलझा रहता है, तो वह इंडो-पैसिफिक रणनीति में निर्णायक भूमिका नहीं निभा पाएगा।
“अमेरिका की नीति में भारत को चीन के विरुद्ध एक संतुलन साधक (बैलेंसर) के रूप में देखा जाता है। भारत का घरेलू और आर्थिक विकास तभी संभव है जब वह सीमाई टकरावों से ऊपर उठकर क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करे।”
निष्कर्ष: रणनीतिक बदलाव की जरूरत
भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीतिक परिपक्वता और आर्थिक विकास की गति के मद्देनजर, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भारत अब क्षेत्रीय विवादों से ऊपर उठने की स्थिति में है।
पाकिस्तान के उकसावे से उलझने की बजाय, भारत को चीन की दीर्घकालिक चुनौती को सामने रखकर रणनीति बनानी चाहिए — यही संकेत है वैश्विक विश्लेषकों का।
क्या भारत इस सलाह को अपनाकर अपनी रणनीति बदलेगा? आने वाले दिनों में इसकी दिशा स्पष्ट होगी, लेकिन वैश्विक संकेत यही कह रहे हैं:
“Focus on the future. And the future lies beyond Pakistan.“