भारत द्वारा पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सावधानीपूर्ण लेकिन अपेक्षित रही है। पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) के बाद की गई इस कार्रवाई को दुनिया के ज़्यादातर देशों ने समझदारी के साथ देखा है, और भारत की प्रतिक्रिया को एक अनुमानित कदम माना गया है।

भारत की सर्जिकल स्ट्राइक पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: समर्थन में शांति की अपील
हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और संयुक्त राष्ट्र जैसे देशों और संस्थाओं ने संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है, लेकिन किसी भी देश ने भारत के खिलाफ कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी या हमलों को रोकने का दबाव नहीं बनाया। इसका मुख्य कारण है भारत सरकार की रणनीतिक और सूझबूझ भरी कूटनीति, जिसमें प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने दुनिया भर के नेताओं से बातचीत कर भारत की स्थिति स्पष्ट की।
भारत ने जोर देकर कहा कि उसकी कार्रवाई सिर्फ आतंकवादियों को निशाना बनाने तक सीमित है और नागरिक, आर्थिक या सैन्य ठिकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। 7 मई को वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई विशेष रूप से उन आतंकवादी ठिकानों के विरुद्ध थी जिनकी पहचान पहले से की गई थी।
इस कार्रवाई की जानकारी दो महिला अधिकारियों द्वारा दी गई — एक हिंदू और एक मुस्लिम — जो भारत की विविधता, समानता और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गईं। रात में हुई और कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि तनाव अब भी जारी है। सऊदी अरब और ईरान के विदेश मंत्रियों का भारत दौरा, और विश्व की बड़ी शक्तियों का भारत-पाकिस्तान दोनों से संपर्क इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
तनाव के बीच भारत का सधा हुआ संदेश: आतंक के खिलाफ है यह लड़ाई
हालांकि पाकिस्तान की वैश्विक मंच पर सीमित स्वीकार्यता है, फिर भी चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे देश उसकी “स्वतंत्र जांच” की मांग का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में भारत को अपने संदेश को तर्कसंगत और संयमित बनाए रखना आवश्यक है।
सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि यह मुद्दा द्विपक्षीय बना रहे, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की आवश्यकता न पड़े, और बातचीत के जरिए तनाव को कम करने के लिए यदि संभव हो तो एक गोपनीय संवाद चैनल खोला जाए — जैसा कि 2021 में LOC संघर्षविराम के समय किया गया था।
भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को दुनिया भर से समर्थन मिलता रहा है, लेकिन पूर्ण युद्ध की स्थिति इस अस्थिर क्षेत्र में किसी के लिए लाभकारी नहीं होगी। सरकार की अब तक की रणनीति संतुलित रही है, और यही दिशा भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए।