Ladakh Government Jobs Reservation Policy 3 जून 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के लिए चार महत्वपूर्ण नियम अधिसूचित किए। इन नियमों में भाषा, डोमिसाइल, सरकारी नौकरियों में आरक्षण और हिल काउंसिल की संरचना से जुड़े संशोधन शामिल हैं। इन चार अधिसूचित नियमों में शामिल हैं:
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लद्दाख आधिकारिक भाषा विनियमन, 2025
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लद्दाख सिविल सेवा विकेंद्रीकरण और भर्ती (संशोधन) विनियमन, 2025
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लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (संशोधन) विनियमन, 2025
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लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियमन, 2025

लद्दाख में सरकारी नौकरी आरक्षण नीति में नया क्या है?
Ladakh Government Jobs Reservation Policy – इनके अनुसार, लद्दाख के स्थायी निवासियों को सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण मिलेगा। साथ ही, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण और बाहरी निवासियों के लिए 5% कोटा रखा गया है, बशर्ते वे 31 अक्टूबर 2019 से लगातार 15 वर्षों तक लद्दाख में रह रहे हों। इस प्रकार कुल 95% सरकारी नौकरियों का आरक्षण तय किया गया है, जो देश में सबसे अधिक में से एक है।
आधिकारिक भाषा और हिल काउंसिल में नया क्या है?
Ladakh Government Jobs Reservation Policy नवीनतम नीति के अनुसार, लद्दाख में आधिकारिक भाषाएं अब अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुर्गी होंगी। इसके साथ ही, लेह की हिल काउंसिल में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। यह आरक्षण रोटेशन के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में लागू होगा, जिससे महिलाओं को अधिक भागीदारी का अवसर मिलेगा।
2011 की जनगणना के अनुसार, लद्दाख की कुल जनसंख्या 2,74,289 है, जिसमें लगभग 80% जनजातीय समुदाय हैं। लेह में अधिकतर बौद्ध समुदाय और कारगिल में मुस्लिम आबादी प्रमुख है। भाषाई और लैंगिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की यह पहल सामाजिक समावेशिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
लद्दाख की संवैधानिक मांगें और आंदोलन की पृष्ठभूमि
Ladakh Government Jobs Reservation Policy 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने और अनुच्छेद 35A समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। लद्दाख को विधानसभा के बिना एक यूटी बनाया गया, जिससे वहां के लोगों में असंतोष फैलने लगा।
बड़े उद्योगपतियों और बाहरी लोगों द्वारा भूमि और नौकरियों पर अधिकार के डर से लद्दाखी समाज ने विरोध शुरू कर दिया। 2020 में लद्दाख बौद्ध संघ के समर्थन से “लेह एपेक्स बॉडी (LAB)” और 2021 में “कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA)” का गठन हुआ। दोनों संगठनों ने मिलकर चार प्रमुख मांगें रखीं:
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संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल करना
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लद्दाख को राज्य का दर्जा देना
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लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें
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सरकारी रिक्तियों को भरना
आगे क्या है? क्या राज्य का दर्जा मिलेगा?
Ladakh Government Jobs Reservation Policy जनवरी 2023 में गृह मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति (HPC) का गठन किया। शुरुआत में इस समिति को स्थानीय संगठनों ने खारिज कर दिया था। लेकिन नवंबर 2023 में समिति को पुनर्गठित किया गया। हालांकि बातचीत मार्च 2024 में फिर से टूट गई।
6 अक्टूबर 2024 को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दिल्ली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, जिससे सरकार पर दबाव बना और बातचीत दोबारा शुरू हुई। दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में HPC की बैठकें हुईं, और 27 मई 2025 को डोमिसाइल और आरक्षण नीति पर सहमति बनी।
लद्दाख बौद्ध संघ के अध्यक्ष और LAB के सह-संयोजक चेरेरिंग दोरजे लकरुक ने स्पष्ट किया है कि अभी केवल सरकारी नौकरियों वाला मुद्दा सुलझा है। भूमि और संवैधानिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत जारी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समिति के सदस्यों से मुलाकात कर भरोसा दिलाया कि अन्य मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी।
लद्दाख के लोग अब भी राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग पर अडिग हैं।