Mind Decision Process Research: आप टीवी देख रहे होते हैं और अचानक चैनल बदलने का मन करता है। आप रिमोट उठाते हैं और चैनल बदल देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह निर्णय कब और कैसे लिया गया? क्या आपके मस्तिष्क ने यह निर्णय पहले ही ले लिया था, इससे पहले कि आप स्वयं इससे अवगत हुए?

क्या हमारा मस्तिष्क निर्णय लेने से पहले ही जान जाता है?
Mind Decision Process Research: इस सवाल पर वैज्ञानिक लंबे समय से काम कर रहे हैं। 1980 के दशक में अमेरिकी न्यूरोसाइंटिस्ट बेंजामिन लिबेट ने “intentional chain” (इरादों की श्रृंखला) का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसमें तीन प्रमुख चरण होते हैं: इरादा बनाना, क्रिया करना, और उसका प्रभाव देखना। लेकिन इस श्रृंखला को पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से मापना हाल तक संभव नहीं था।
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पहली बार मस्तिष्क के M1 क्षेत्र में निर्णय प्रक्रिया की जांच
Mind Decision Process Research” हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस सवाल का वैज्ञानिक विश्लेषण किया कि हम किसी निर्णय से पहले उसके प्रति कितनी जल्दी सचेत होते हैं। अमेरिका, यूके और स्विट्ज़रलैंड के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक टेट्राप्लेजिक (चारों अंगों से विकलांग) व्यक्ति पर यह प्रयोग किया, जिसके मस्तिष्क के M1 क्षेत्र में एक इम्प्लांट लगाया गया था।
M1 क्षेत्र, मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो स्वैच्छिक गति को नियंत्रित करता है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उस व्यक्ति के हाथ की गति, उसकी मंशा और प्रभाव (जैसे बॉल दबाने पर ध्वनि निकलना) को अलग-अलग समय पर मापा। आश्चर्य की बात यह रही कि उसकी मंशा और मस्तिष्क की विद्युत सक्रियता में समय का थोड़ा अंतर पाया गया — लेकिन यह फर्क मिलीसेकंड में था, जो मस्तिष्क के लिए बहुत मायने रखता है।
क्या मस्तिष्क पहले से तैयार होता है किसी क्रिया के लिए?
Mind Decision Process Research 1960 के दशक में जर्मन वैज्ञानिक हंस कोर्नहूबर ने ‘readiness potential’ की खोज की थी, यानी किसी स्वैच्छिक क्रिया से पहले मस्तिष्क में विद्युत सक्रियता का बढ़ना। इसका अर्थ यह था कि हमारे मस्तिष्क में किसी क्रिया के पहले ही तैयारी शुरू हो जाती है।
नोएल और उनकी टीम ने अपने हालिया अध्ययन में पाया कि जब प्रतिभागी से कहा गया कि वह बताए कि कब उसे क्रिया करने की मंशा हुई, तो उसकी रिपोर्ट की गई समय-संवेदना मस्तिष्क की वास्तविक विद्युत गतिविधि से पहले की थी। जब हाथ की गति NMES डिवाइस से प्रेरित की गई, तब प्रतिभागी ने उसकी गति को बाद में महसूस किया। यह दर्शाता है कि मस्तिष्क में “इरादा” और “क्रिया” के बीच जटिल संबंध होता है।
M1 क्षेत्र: मस्तिष्क का अंतिम पड़ाव, जहां निर्णय बनता है क्रिया
M1 क्षेत्र को मस्तिष्क से स्पाइनल कॉर्ड और फिर मांसपेशियों तक संकेत पहुंचाने का अंतिम पड़ाव माना जाता है। इस अध्ययन ने M1 की उस विशेष भूमिका को स्पष्ट किया कि कैसे यह क्षेत्र “इरादा” बनने के समय और “क्रिया” के दौरान भी सक्रिय रहता है।
नोएल और उनके साथियों का अध्ययन बताता है कि M1 क्षेत्र मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों जैसे कि प्रमोटर और पेराइटल कॉर्टेक्स से संकेत प्राप्त करता है और फिर उन्हें क्रिया में बदलता है। यह अध्ययन पहली बार था जिसमें इरादों की श्रृंखला को इतनी स्पष्टता से मापा गया — न कि केवल प्रतिभागी के कथनों पर आधारित होकर, बल्कि वैज्ञानिक यंत्रों के मापन के आधार पर।
निष्कर्ष (Mind Decision Process Research)
यह अध्ययन मस्तिष्क की गहराई से समझ प्रदान करता है कि जब हम कोई स्वैच्छिक क्रिया करते हैं — जैसे कि रिमोट उठाना या बटन दबाना — तो उसका निर्णय कब और कैसे बनता है। M1 क्षेत्र की भूमिका इससे कहीं अधिक गहन और जटिल है जितना पहले समझा गया था। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि हमारा मस्तिष्क कई बार हमसे पहले ही निर्णय ले चुका होता है — और हमें उसका एहसास कुछ मिलीसेकंड बाद होता है।
इस शोध का एक सीमित पहलू यह था कि इसे केवल एक टेट्राप्लेजिक व्यक्ति पर किया गया था। लेकिन अन्य हालिया शोधों ने 30 स्वस्थ प्रतिभागियों पर समान प्रयोग किए और M1 क्षेत्र की भूमिका को फिर से प्रमाणित किया। इस प्रकार, यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारा मस्तिष्क वाकई हमसे पहले ही निर्णय ले लेता है — बस हमें उसका एहसास थोड़ी देर बाद होता है।