Moonwalk Movie Review: फिल्म 1990 के दशक की उस सजीव और रंगीन दुनिया में दर्शकों को ले जाती है, जब ब्रेकडांसिंग युवाओं के बीच तेजी से उभर रही थी। यह फिल्म सिर्फ एक डांस ड्रामा नहीं, बल्कि उस दौर की जीवनशैली, सपनों और संघर्षों को छूने वाला सजीव दस्तावेज़ है।

Moonwalk: एक भावनात्मक यात्रा 90 के दशक की ब्रेकडांसिंग संस्कृति में
फिल्म का निर्देशन विनोद ए.के. ने किया है, जो इस फिल्म से निर्देशन में कदम रख रहे हैं। उन्होंने उस दौर की बारीकियों को न सिर्फ दृश्य रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी परदे पर उकेरा है।
कहानी का सार: डांस के सपनों में डूबे कुछ युवा
Moonwalk Movie Review: फिल्म की कहानी कुछ युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है जो थिरुवनंतपुरम के ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों में रहते हैं। ये युवा 90 के दशक के अंत में ब्रेकडांसिंग के प्रति आकर्षित होते हैं।
उनका सफर आसान नहीं है – सामाजिक दबाव, आर्थिक सीमाएं, पुलिस और शहरी युवाओं से टकराव जैसी कई बाधाएं उनकी राह में आती हैं। फिर भी, वे अपने जुनून और आत्मविश्वास से आगे बढ़ते हैं।
️ फिल्म की प्रमुख जानकारी तालिका में:
विषय | विवरण |
---|---|
फिल्म का नाम | Moonwalk |
भाषा | मलयालम |
निर्देशक | विनोद ए.के. |
✍️ लेखक | विनोद ए.के., मैथ्यू वर्गीज़, सुनील गोपालकृष्णन |
मुख्य कलाकार | अनुनाथ वी.पी., सुजीत प्रपंचन, श्रीकांत मुरली, संजना डॉस, मीनाक्षी रवींद्रन |
अवधि | 118 मिनट |
संगीत | प्रसान्त पिल्लई |
स्थान | थिरुवनंतपुरम के ग्रामीण व तटीय क्षेत्र |
शैली | डांस, ड्रामा, रेट्रो-थीम्ड |
संगीत और दृश्य शैली: फिल्म की जान
Moonwalk Movie Review: फिल्म में प्रसान्त पिल्लई का संगीत और अंसर शाह की सिनेमैटोग्राफी एक ऐसी रेट्रो दुनिया रचते हैं जो दर्शक को पकड़ लेती है। फिल्म में इस्तेमाल किए गए VHS टेप, वॉकमैन, डिस्को कॉस्ट्यूम, और माइकल जैक्सन फैनहुड जैसे तत्व उस समय की भावनात्मक झलकियों को सामने लाते हैं।
साउंडट्रैक फिल्म की आत्मा है — हर दृश्य के साथ संगीत एक गहराई जोड़ता है और डांस सीक्वेंस को जीवंत बना देता है।
संघर्ष, रोमांस और युवाओं की ऊर्जा
Moonwalk Movie Review: हालांकि फिल्म में कोई बड़ा ‘क्लाइमेक्स’ या चौंकाने वाला मोड़ नहीं है, लेकिन यह युवाओं की उम्र और समय के अनुकूल छोटे-छोटे संघर्षों से भरी है — जैसे माता-पिता का विरोध, प्यार में असफलताएं, और कला के प्रति समर्पण।
फिल्म में दिखाए गए फ्लिटिंग रोमांस, मिक्सटेप का उपहार, और सामाजिक वर्गों के बीच टकराव इसे यथार्थ बनाते हैं। यह फिल्म कामकाजी वर्ग के पात्रों को उनकी नौकरी के साथ-साथ डांस में लिप्त होते भी दर्शाती है — जो फिल्म को हल्का-फुल्का लेकिन मजबूत आधार देता है।
चरमोत्कर्ष और संदेश
फिल्म का अंतिम डांस सीक्वेंस शानदार है — यह न सिर्फ कहानी को ऊंचाई देता है, बल्कि एक चरित्र की व्यक्तिगत यात्रा को भी पूरा करता है। निर्देशक विनोद ए.के. ने एक ऐसे कलाकार का संघर्ष दिखाया है जो खुद निर्देशक के संघर्ष को दर्शाता है — यह फिल्म भी कई वर्षों तक रिलीज़ की बाट जोहती रही।
Moonwalk अंततः एक सजीव और ईमानदार श्रद्धांजलि है उस समय को जब ब्रेकडांसिंग सिर्फ कला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति और विद्रोह का माध्यम थी।
✅ निष्कर्ष
Moonwalk एक दिल से बनी फिल्म है जो किसी बड़े बजट या स्टार पावर पर नहीं, बल्कि अपने जुनून, यथार्थ और संगीत पर टिकी है। यह फिल्म उन दर्शकों को बेहद पसंद आएगी जिन्होंने 90 के दशक को जिया है या उसकी झलक देखना चाहते हैं।
यह फिल्म दिखाती है कि कला सीमाओं को तोड़ सकती है — चाहे वो भौगोलिक हों या सामाजिक।