Muslim Rashtriya Manch Lucknow News: हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बकरीद (ईद-उल-अजहा) के अवसर पर एक अनोखी पहल देखने को मिली, जहाँ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने पारंपरिक पशु कुर्बानी के बजाय ‘बकरे के केक’ काटकर त्योहार मनाया। यह सांकेतिक कुर्बानी उन गरीब मुसलमानों के समर्थन में की गई जो आर्थिक स्थिति के चलते बकरीद पर बकरा नहीं खरीद पाते।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की अनोखी पहल: बकरीद पर पशु नहीं, केक की कुर्बानी
सांकेतिक कुर्बानी का उद्देश्य
MRM के राष्ट्रीय संयोजक ठाकुर राजा रईस ने कहा कि पेड़, पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत हैं। जब हम उन पर रहम करेंगे, तब हम पर भी रहमत होगी। इस्लाम में जानवर की कुर्बानी अनिवार्य नहीं है, बल्कि भावना और नीयत देखी जाती है। ईद-उल-अजहा का मूल भाव खुशी और आपसी भाईचारे का है, गले मिलना और मुंह मीठा कराना है। अगर कुर्बानी अनिवार्य होती तो मक्का में भी गाय या भैंस की कुर्बानी दी जाती लेकिन ऐसा नहीं होता।
सामाजिक समानता की ओर कदम
Muslim Rashtriya Manch Lucknow News कार्यक्रम में मौजूद रुखसाना बेगम ने कहा कि पैगंबर के समय जो किया गया, वह उस दौर की जरूरत थी। अब वक्त बदल चुका है। अमीर लोग तो बकरे की कुर्बानी कर लेते हैं, पर गरीब मुसलमान आज भी सिर्फ देखता रह जाता है। केक से कुर्बानी कर हर कोई इस त्योहार में शामिल हो सकता है।
गुलजार बानो ने कहा कि आज सिर्फ पशु हत्या हो रही है। कुर्बानी की असल भावना पीछे छूट गई है। समाज में समानता लाने के लिए सांकेतिक कुर्बानी एक बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि जब अल्लाह ने इब्राहिम (अलैह) की नीयत को देखकर कुर्बानी को कुबूल किया, तो जानवर की कुर्बानी की अनिवार्यता कहां रह जाती है?
पर्यावरण संरक्षण की पहल
Muslim Rashtriya Manch Lucknow News ठाकुर राजा रईस ने कहा कि हम मोरक्को के राजा मोहम्मद छठवें को बधाई देते हैं, जिन्होंने अपने देश में बकरीद पर कुर्बानी पर रोक लगा दी है। जब एक मुस्लिम देश में ऐसा हो सकता है, तो भारत जैसे राष्ट्र में भी पशु हत्या पर प्रतिबंध की मांग जायज है। उन्होंने यह भी चेताया कि जानवरों की हत्या से उत्पन्न होने वाली कंपनें और चीखें प्राकृतिक आपदाओं को बुलावा देती हैं। इससे ब्रह्मांड में संतुलन बिगड़ता है।
धार्मिक विचारों में विविधता
Muslim Rashtriya Manch Lucknow News हालांकि, इस पहल को लेकर धार्मिक विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ मौलवियों ने इसे इस्लामिक परंपराओं के खिलाफ बताया है। लेकिन MRM का मानना है कि समय के साथ परंपराओं में बदलाव आवश्यक है और सांकेतिक कुर्बानी एक सकारात्मक कदम है।
निष्कर्ष
Muslim Rashtriya Manch Lucknow News लखनऊ में बकरीद पर ‘बकरे के केक’ काटने की यह पहल समाज में समानता, पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक सहिष्णुता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि परंपराओं को समय के साथ बदलकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।