नेपाल में राजनैतिक उथलपुथल – राजतंत्र VS लोकतंत्र

नेपाल में फ़िलहाल राजनैतिक अस्थिरता का माहौल है। शुक्रवार को राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प में दो लोगों की मौत के साथ साथ काफी लोग घायल हो गए। प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेतृत्व में हो रहा था। जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन हासिल है। इस हिंसक झड़प के लिए लोकतंत्र समर्थक पार्टियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को जिम्मेदार ठहराया है।

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Nepal Riots

नेपाल में राजनैतिक उथलपुथल

राजा के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। गुप्त सूत्रों से ये सूचना आ रही है कि सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और नेपाली कांग्रेस का कहना है कि हिंसा पूर्व नरेश के इशारे पर हुई है। सोशल मीडिया पर ‘ज्ञानेंद्र शाह गिरफ़्तार करो’ अभियान को ट्रेंड करवाया जा रहा है। वहीं पर लोकतंत्र समर्थक दल, इस स्थिति के एक-दूसरे को भी ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।

राजतंत्र VS लोकतंत्र

इसी सारे विषम माहौल के बिच में काठमांडू मेट्रोपोलिटन सिटी ने ज्ञानेंद्र शाह पर लगभग आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। काठमांडू पुलिस प्रमुख राजू पांडे ने प्रेस को बताया कि अगर जुर्माना अदा नहीं किया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड ने शुक्रवार की हिंसा के लिए ज्ञानेंद्र शाह को ज़िम्मेदार करार दिया है।

Nepal King
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प्रचंड ने शनिवार को बताया कि यह समय सरकार के लिए कड़ी कार्रवाई करने का है। सभी अपराधियों की जांच की जानी चाहिए। उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। ज्ञानेंद्र शाह को छोड़ा नहीं जाना चाहिए। लोकतंत्र समर्थक नेपाली पार्टियों का मानना है कि हिंसा योजनाबद्ध ढंग से फैलाई गई, जिसे राजा का शह हासिल था।

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