Newton Das Voter Bengal Vivad पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर पहले से चल रहे विवाद के बीच एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। वर्ष 2024 में बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले न्यूटन दास को पश्चिम बंगाल के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र में पंजीकृत मतदाता पाया गया है। सोशल मीडिया पर न्यूटन दास की तस्वीरें बांग्लादेश में चल रहे विरोध-प्रदर्शनों में भाग लेते हुए वायरल हैं। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

बांग्लादेश का आंदोलनकारी न्यूटन दास बना पश्चिम बंगाल में मतदाता, वोटर लिस्ट विवाद गहराया
Newton Das Voter Bengal Vivad न्यूटन दास ने खुद को भारतीय नागरिक बताया, लेकिन यह स्वीकार किया कि वह बांग्लादेश के आंदोलन में शामिल हुआ था। अपने एक वीडियो संदेश में उसने कहा, “मैं 2024 में पारिवारिक जमीन-जायदाद से जुड़े मसले पर बांग्लादेश गया था और वहीं विरोध-प्रदर्शन में फंस गया। मैं 2014 से काकद्वीप में मतदाता हूं, लेकिन 2017 में मेरा वोटर कार्ड खो गया था। 2018 में स्थानीय विधायक मंटूराम पाखिरा की मदद से मुझे नया वोटर कार्ड मिला।”
उन्होंने यह भी कहा कि 2016 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मंटूराम पाखिरा को वोट दिया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वे वर्तमान में भारत में हैं या बांग्लादेश में।
दो देशों में वोटर बनने का आरोप
Newton Das Voter Bengal Vivad न्यूटन दास के चचेरे भाई तपन दास ने मीडिया को बताया कि न्यूटन का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और वह दोनों देशों में मतदाता है। तपन दास के अनुसार, “न्यूटन 2020 के बाद यहां जमीन बेचने के लिए आया था और तब से वापस नहीं आया। यह उसकी गलती है कि वह दोनों देशों में मतदाता के रूप में पंजीकृत है।”
काकद्वीप क्षेत्र सुंदरबन के पास स्थित है और इसकी सीमा बांग्लादेश से लगती है, जिससे अवैध आवागमन की संभावनाएं बनी रहती हैं।
राजनीति में उठा भूचाल, भाजपा का हमला
भाजपा ने इस मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “पश्चिम बंगाल की मतदाता सूचियों में लाखों बांग्लादेशी नागरिकों के नाम शामिल हैं।”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस प्रकरण को “एगीए बंगला मॉडल” का एक और उदाहरण बताया और आरोप लगाया कि राज्य में अवैध घुसपैठियों का एक संगठित नेटवर्क चल रहा है। उन्होंने कहा, “जो न्यूटन बांग्लादेश के कोटा सुधार आंदोलन में डंडा चला रहा था, वही अब काकद्वीप का मतदाता बन चुका है।”
भाजपा नेताओं ने यह भी दावा किया कि एक संदिग्ध आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्य साद शेख का नाम भी मुर्शिदाबाद जिले की वोटर लिस्ट में पाया गया है।
तृणमूल का पलटवार: BSF की जिम्मेदारी
Newton Das Voter Bengal Vivad तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए केंद्र सरकार और BSF को कटघरे में खड़ा किया। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “देश की सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ और केंद्र सरकार की है। राज्य प्रशासन निश्चित तौर पर अपनी भूमिका निभाता है, लेकिन ज़मीनी घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर निगरानी केंद्र का काम है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा खुद इस मुद्दे पर दोहरा रवैया अपना रही है और राजनीति चमकाने के लिए ऐसे मामलों को तूल दे रही है।
पहले भी लगे थे आरोप
गौरतलब है कि फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं राज्य की मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि अन्य राज्यों के मतदाताओं के पहचान पत्र नंबर, बंगाल के मतदाताओं से मेल खाते हैं। इसके जवाब में भाजपा ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस की सहमति से बांग्लादेशियों को मतदाता सूची में शामिल किया गया है।
निष्कर्ष
Newton Das Voter Bengal Vivad न्यूटन दास का मामला न केवल मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सीमावर्ती इलाकों में अवैध घुसपैठ और दोहरी नागरिकता जैसे गंभीर मुद्दे अब राजनीति के केंद्र में आ गए हैं। जहां एक ओर भाजपा इसे तृणमूल की नाकामी बता रही है, वहीं तृणमूल इसे केंद्र सरकार और बीएसएफ की विफलता बता रही है।
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि 2025 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल की राजनीति में मतदाता सूची और सीमा सुरक्षा बड़े मुद्दे बन सकते हैं।
Source: The Hindu