भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। भारत की कड़ी कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में एक ऐसा बयान दे डाला, जिसने न केवल सैन्य नीति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मानवाधिकार और बच्चों के उपयोग पर भी गंभीर बहस को जन्म दिया है।
नेशनल असेंबली में बोलते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा, “जहां तक मदरसों और वहाँ पढ़ने वाले छात्रों की बात है, तो इसमें कोई शक नहीं कि ये हमारी दूसरी रक्षा पंक्ति हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो इन छात्रों का इस्तेमाल जंग के समय किया जा सकता है।

ऑपरेशन सिंदूर के असर से बौखलाया पाकिस्तान, रक्षामंत्री का गैर-जिम्मेदाराना बयान
मदरसों के छात्रों को रक्षा पंक्ति बताकर चौकाया: इस बयान से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान अब सैन्य संसाधनों की कमी के चलते नाबालिग या असैन्य नागरिकों को युद्ध में झोंकने की सोच रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन है। किसी भी देश द्वारा बच्चों को युद्ध में शामिल करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के विरुद्ध भी है।
भारत की कार्रवाई से डरे पाक नेता
भारत की सटीक और साहसी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की सेना को काफी नुकसान हुआ है। लाहौर स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को हुए भारी नुकसान ने पाकिस्तान की रक्षा तैयारी की पोल खोल दी है। नेशनल असेंबली की बैठक में कई सांसदों ने खुले तौर पर युद्ध का विरोध किया। कुछ सांसदों की भावनाएं इतनी अधिक थीं कि वे संसद में रोने लगे।
यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तान के नेताओं के भीतर डर व्याप्त है और अब वे उन्मादी और अतार्किक फैसलों की ओर झुक रहे हैं।
परमाणु हमलों की गीदड़भभकी
ख्वाजा आसिफ के साथ-साथ पाकिस्तान के अन्य मंत्री, जैसे कि रेल मंत्री हनीफ अब्बासी, बार-बार परमाणु हमलों की धमकी दे चुके हैं। अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान के पास “गौरी” और “गजनवी” जैसे मिसाइल हैं और उनके पास 130 से अधिक परमाणु हथियार हैं, जो भारत की ओर तैयार हैं।
इस तरह की बयानबाजी, खासकर सरकार के जिम्मेदार मंत्रियों द्वारा, अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है और यह दर्शाता है कि पाकिस्तान खुद को संकट से बाहर निकालने के लिए आत्मघाती सोच की ओर बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी
रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने भी एक इंटरव्यू में भारत पर परमाणु हमला करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यदि भारत ने पाकिस्तान के किसी क्षेत्र पर हमला किया, तो पाकिस्तान पूरी ताकत से जवाब देगा। इस तरह के बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की छवि को और अधिक अस्थिर और गैर-जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में पेश करते हैं।
भारत की सैन्य नीति जहां संयम, रणनीति और सुरक्षा सिद्धांतों पर आधारित है, वहीं पाकिस्तान की सोच बच्चों और धार्मिक संस्थाओं को युद्ध में धकेलने तक जा पहुँची है। यह अंतर साफ दिखाता है कि कौन देश शांति और सुरक्षा की बात करता है और कौन उन्माद और बर्बादी की ओर बढ़ रहा है।
Source ABP