Thunderbolts Film Review: मार्वल स्टूडियोज की नई पेशकश ‘Thunderbolts’* अपने नाम के पीछे छिपे अवरोधक चिह्न के जैसे ही उलझी, निराश और सोचने पर मजबूर करने वाली फिल्म है। यह कोई भव्य शुरुआत नहीं, न ही किसी गाथा का समापन है, बल्कि एक थकी हुई यात्रा का मध्य बिंदु है – जहां पुराने और हाशिए पर गए सुपरहीरो अपने अस्तित्व को फिर से तलाशने की कोशिश करते हैं।

Thunderbolts फिल्म समीक्षा – थकी हुई आत्माओं की वापसी
मिड-लाइफ क्राइसिस से जूझता मार्वल यूनिवर्स
मार्वल का फेज 5 अब किसी महाकाव्य की तरह नहीं, बल्कि एक धीमी और थकी हुई सांस जैसा लगता है। ‘Thunderbolts*’ इस भावना को पूरी ईमानदारी से स्वीकारती है। जहां एक समय में एवेंजर्स जैसे नायक पूरी दुनिया को बचाते थे, अब वही यूनिवर्स बेहद असमंजस में है—न नए नायक पूरी तरह तैयार हैं, न पुराने चरित्रों में वही चमक बची है।
फिल्म के केंद्र में हैं –
-
एक भूतपूर्व बाल हत्यारिन (येलिना बेलोवा)
-
एक नाकाम कैप्टन अमेरिका की परछाई
-
एक राजनीतिज्ञ में बदला गया सुपरसैनिक हत्यारा
-
एक क्वांटम-प्रेत आत्मा,
-
एक सोवियत युग का अवशेष
-
और एक मानव ‘इमोशनल वायरस’ – नाम बॉब।
इन सभी को दुनिया ने भुला दिया है, शायद मार्वल के दर्शकों ने भी।
फ्लोरेंस प्यू – अकेली चमकती रौशनी
फ्लोरेंस प्यू, जो ‘ब्लैक विडो’ की बहन येलिना बेलोवा के किरदार में वापसी करती हैं, इस फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी हैं। उनका किरदार खोखली उम्मीदों और अधूरे मकसदों के बीच जूझता है। वह नायक नहीं बनना चाहतीं, लेकिन सिस्टम उन्हें लड़ाई में वापस खींच लाता है।
उनकी एक पंक्ति – “शायद मैं अब बस बोर हो चुकी हूं” – मार्वल यूनिवर्स की थकावट और भ्रम को एक लाइन में समेट देती है।
कहानी में ड्रामा है, लेकिन दिशा नहीं
फिल्म की कहानी एक खतरनाक मिशन के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां ये अनगिनत एंटी-हीरोज अपने अतीत से टकराते हैं। यह संघर्ष केवल बाहरी नहीं, बल्कि भीतरू और मानसिक भी है। लेकिन यहां न तो कोई असाधारण मोड़ आता है और न ही कोई रोमांचक क्लाइमेक्स।
यह फिल्म गंभीर है, धीमी है, और कहीं-कहीं अत्यधिक आत्म-विश्लेषण में उलझी रहती है। हालांकि, यह मार्वल के पिछले फॉर्मूले से हटकर है, लेकिन उसकी जगह कोई नया मजबूत खंभा भी नहीं बनाती।
️ निर्देशन और प्रस्तुतिकरण
निर्देशक जेक श्रेयर का काम एक थकी हुई स्क्रिप्ट को भावनात्मक गहराई देने का रहा, और उन्होंने इसे बखूबी निभाया। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी सुस्त लेकिन संजीदा है, और दृश्य संयोजन (visual pacing) दर्शक को सोचने पर मजबूर करता है।
क्या फिल्म सफल है?
यदि आप एक्शन और CGI से भरपूर पारंपरिक मार्वल फिल्म की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म शायद आपको निराश करे। लेकिन अगर आप किसी भीतर झाँकती, आत्मनिरीक्षण करती मार्वल फिल्म की तलाश में हैं, तो ‘Thunderbolts*’ आपको कुछ नया ज़रूर दे सकती है।
यह फिल्म खुद मानती है कि मार्वल अब पहले जैसा नहीं रहा। यही ईमानदारी, इसे हालिया फिल्मों से कुछ अलग और मानवीय स्पर्श प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
‘Thunderbolts*’ कोई महान वापसी नहीं है, लेकिन यह एक जरूरी ठहराव है – जहां मार्वल खुद को, अपने किरदारों को, और शायद अपने दर्शकों को फिर से समझने की कोशिश कर रहा है।
यह फिल्म एक तरह का मेटा-कॉमेंट्री भी है – मार्वल ब्रह्मांड के थकते, टूटते और खुद को खोजते किरदारों पर। और इस सफर में फ्लोरेंस प्यू की भावनात्मक ईमानदारी इस फिल्म को देखने लायक बना देती है।