जब से अमेरिका – चीन के बिच में टैरिफ वॉर शुरू हुआ है, तब से विश्व अर्थव्यवस्था असमंजस की स्थिति में है। चीन ने भले ही ट्वीट कर के अमेरिका को चुनौती दी थी। जिसके बाद में भारत पर भी दबाव शुरू हो गया कि वो अमेरिका को कोई जवाब क्यों नहीं दे रहा। लेकिन भारत सरकार ने इसमें बिना कोई हड़बड़ी दिखाए संयम से काम लिया। बिना कोई तीखा जवाब दिए लगातार बातचीत करते रहे जिसका अब उन्हें फायदा होते दिख रहा है।
बुधवार को यानी कल 9 अप्रैल को ट्रम्प ने 75 देशों पर लगाए जाने वाले अपने अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिन तक रोकने की घोषणा कर दी है। उन्हें जुलाई तक बस 10 प्रतिशत टैरिफ देना है। लेकिन चीन के साथ हुई गहमा गहमी में चीन को आक्रामक जवाब देते हुए 125 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगा दिया है। ट्रम्प ने सत्ता सँभालने के बाद ये बात बिलकुल साफ़ कर दी कि वो अपनी टैरिफ रणनीति पर कायम रहेंगे।

अमेरिका ने दागा चीन पर 125 % टैरिफ – 75 देशों को 90 दिन की छूट
ट्रम्प ने कहा कि जिन देशों ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं की, उनको जुलाई तक राहत मिलेगी। अगले 90 दिन उन्हें केवल 10% के ब्लैंकेट अमेरिकी टैरिफ देना होगा। मीडिया ने उनसे पूछा उन्होंने 75 देशों को टैरिफ से राहत देने का आदेश क्यों दिया है जिस पर उन्होंने रिपोर्टरों से कहा कि लोग लाइन से थोड़ा बाहर जा रहे थे। वे चिड़चिड़े हो रहे थे।
अब इसी बात को हम दूसरे तरीके से समझ सकते हैं जहां अमेरिका ये जताने की कोशिश कर रहा है कि उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा। लेकिन इस 90 दिनों की रोक की घोषणा के बाद मार्किट ने 10 प्रतिशत की छलांग मारी है। ये छलांग साफ़ बता रही है कि अमेरिका का मार्किट ट्रम्प की टैरिफ निति का दबाव साफ़ महसूस कर रहा है।
ट्रंप ने इन 75 देशों पर अपने टैरिफ को खत्म नहीं बल्कि उसपर केवल रोक लगाई है। उन देशों के पास अगले 90 दिन का वक्त है कि वह इन 75 देशों के साथ कैसे व्यापार करेंगे। उस पर कोई डील कर सके। ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया को बताया कि वो पिछले कुछ दिनों से इस कदम पर विचार कर रहे थे। ट्रम्प ने आगे कहा कि हम उन देशों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते, जिन्हें चोट पहुंचाने की जरूरत नहीं है। वे सभी बातचीत करना चाहते है।

ट्रम्प की बदजुबानी ने ललकारा युरोपियन यूनियन और चीन को
ठीक एक दिन पहले तक नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी में बोलते हुए ट्रंप ने अपना स्तर गिराते हुए टैरिफ प्रभावित देशों का मजाक उड़ाया। अब अगले ही दिन वो 90 दिन की रोक लगा रहे हैं। दूसरी तरफ चीन और यूरोपीय यूनियन की ओर से ट्रंप के टैरिफ का टैरिफ से जवाब देने की रणनीति काम करने लगी है। इस तरीके से दुनिया का मंदी की तरफ जाने का खतरा है।
यूरोपीय यूनियन ने जवाबी कदमों के पहले दौर में कई अमेरिकी आयातों पर 25% टैरिफ की घोषणा की थी। 27 देशों वाले इस ब्लॉक ने €21bn, (£18bn) अमेरिकी सामानों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर सहमत हो चुकी है। हंगरी को छोड़कर सभी देशों ने जवाब देने के लिए मतदान किया है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि ट्रंप ने अपने निशाने पर केवल चीन को लिया है, जो यूरोपीय यूनियन से दो कदम आगे जाकर टैरिफ का जवाब टैरिफ से दे रहा है। चीन ने अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ को 34 % से बढ़ाकर 84 % किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन पर लगने वाले टैरिफ को 104 % से बढ़ाकर 125 % किया। चीन पर ये टैरिफ प्रभावी होने से कुछ घंटे पहले वहां के वाणिज्य मंत्री ने कहा है कि अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ सभी देशों के वैध हितों का गंभीर उल्लंघन है। हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है। चीन व्यापार युद्ध नहीं चाहता है। लेकिन चीनी सरकार किसी भी तरह से चुप नहीं बैठेगी, जब उसके लोगों के वैध अधिकारों और हितों को चोट पहुंचा कर उन्हें वंचित किया जाएगा।
IMPORTANT UPDATE अब अमेरिका और चीन के बिच बढ़ते हुए तनाव को देखते हुए चीन ने अपने नागरिको को अमेरिका के यात्रा के लिए आगाह करते हुए चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने एक ट्रैवल एडवाइज़री ज़ारी की है। मंत्रालय ने अपने नागरिकों को सावधानी से यात्रा करने और अमेरिका जाने से पहले जोखिमों का पूरी तरह से अवलोकन करने, सोच समझकर यात्रा करने का सुझाव दिया है। चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार संबंधों में गिरावट और संयुक्त राज्य अमेरिका की घरेलू सुरक्षा स्थिति का हवाला दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने एक अलग चेतावनी जारी की है। छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई का फ़ैसला करने से पहले सुरक्षा जोखिम का आकलन करने के लिए संकेत दिया है।