अमेरिका के राष्ट्रपति पद का भार जब से डोनाल्ड ट्रम्प ने लिया है। तब से उनकी घोषणाओं की वजह से बाजार का बुरा हाल है। सवाल जो अब उठ रहा है वो ये है कि क्या ये सारे फैसले दुनिया को मंडी की तरफ ले जा रहे हैं। मुख्य बात ये है कि जो भी शेयर मार्केट में ऊपर निचे बदलाव होता है वो आर्थिक फैसले और उनके परिणामो को लेकर होता है।
ट्रम्प के फैसलों में भले ही अमेरिका को बढ़ने की बात कर रहे हैं लेकिन गिरता हुआ मार्केट इसके विपरीत ही संकेत दे रहा है। शेयर की क़ीमत में गिरावट का मतलब हमेशा आर्थिक समस्या नहीं होती। कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी कंपनी की स्टॉक मार्केट वेल्यू में गिरावट का अर्थ है कि भविष्य में उसके मुनाफ़े के मूल्यांकन में बदलाव के संकेत। बाज़ार का अनुमान है कि टैरिफ बढ़ने के बाद चीज़ों की लागत बढ़ेगी। इसकी वजह से कंपनियों के मुनाफ़े में गिरावट दिखेगी।

भरभरा कर गिरे भारत समेत एशिया के शेयर बाज़ार
सोमवार को एशिया के तमाम शेयर में भारी गिरावट दिखी। 2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों से अमेरिका आने वाले सामान पर आयात शुल्क की घोषणा की थी। एशिया के साथ-साथ अमेरिका के शेयर बाज़ारों में भी उथल-पुथल मच गई है। पहले ही डोनाल्ड ट्रम्प की रूस यूक्रेन के युद्ध को रोकनी की कोशिश हम देख रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैं किसी चीज़ में गिरावट नहीं चाहता। लेकिन कभी-कभी चीज़ें ठीक करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है। अब ये समय बताएगा कि कौनसी दवाई किसके काम आ रही है और किसको इसके साइड इफ़ेक्ट झेलने पड़ रहे हैं। सोमवार को एशिया के बड़े शेयर बाज़ारों के खुलते ही भारी गिरावट दर्ज की।
हालाँकि हम खुद ये चाहेंगे की भविष्य में ये युद्ध जल्दी से जल्दी ख़त्म हो और विश्व शांति की तरफ मिल कर प्रयास करे। आगे किसी भी तरीके की देश विदेश से जुडी खबरें जान ने के लिए हमारी खबरnews24 से जुड़े रहें और अपने कमैंट्स से हमे भी अपने विचार भेजें।