Waqf Amendment Act Updates: 20 मई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 (Waqf Amendment Act, 2025) को लेकर चल रही सुनवाई के दूसरे दिन केंद्र सरकार ने इस कानून का जोरदार बचाव किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यह संशोधन ऐसे मुद्दों को हल करता है, जिन्हें ब्रिटिश शासन और स्वतंत्र भारत की सरकारें दशकों तक हल नहीं कर सकीं।

Waqf Amendment Act Updates: सुप्रीम कोर्ट में गूंजे संविधान, अधिकार और पारदर्शिता के मुद्दे
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां: याचिकाकर्ताओं ने इस संशोधन को चुनौती देते हुए इसे मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर “धीरे-धीरे कब्जा करने की साजिश” बताया। उनका कहना है कि यह कानून भारत की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी के वक्फ संपत्तियों के अधिकारों को कमजोर करता है।
उनका आरोप है कि वक्फ ट्रिब्यूनल को जो अधिकार दिए गए हैं, वो न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा, वे इस संशोधन को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए इसकी संवैधानिकता पर भी सवाल उठा रहे हैं।
केंद्र का पक्ष: “संविधानिक मान्यता का लाभ कानून को प्राप्त”
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी याद दिलाया कि किसी संसदीय कानून को तब तक वैध माना जाता है जब तक कि उसे असंवैधानिक घोषित न किया जाए। इसलिए कोर्ट को तत्काल प्रभाव से इस कानून को स्थगित करने का आदेश नहीं देना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को कोई ‘गंभीर और स्पष्ट रूप से असंवैधानिक’ स्थिति दिखानी होगी तभी कोई अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता है।
️ वक्फ ट्रिब्यूनल को दी गई शक्तियां
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी बताया कि वक्फ ट्रिब्यूनल को दीवानी अदालत जैसे अधिकार दिए गए हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि कोई जिला अधिकारी कोई आदेश देता है, तो उसे ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है।
वक्फ कानून की प्रकृति: धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष?
एक अहम मुद्दा यह भी उठा कि क्या वक्फ कानून पूरी तरह से धार्मिक है या इसका धर्मनिरपेक्ष स्वरूप भी है। केंद्र ने दावा किया कि वक्फ एक “सेक्युलर कॉन्सेप्ट” है और इसे केवल धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। इसी आधार पर केंद्र ने कहा कि इस कानून को आस्थगित (Stay) नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे संसद द्वारा पारित किया गया है और यह संविधानिक मान्यता प्राप्त है।
क्या आने वाले दिनों में रुक सकता है कानून?
सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन और सुनवाई के लिए निर्धारित किया है, जिसके बाद यह तय होगा कि इस कानून पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं। यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण होगा क्योंकि अगर सुप्रीम कोर्ट कानून पर रोक लगाता है, तो केंद्र को बड़ा झटका लग सकता है।
Waqf Act पारदर्शिता या अधिग्रहण?
इस कानून के समर्थक इसे वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानते हैं। जबकि विरोध करने वालों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का दमन है। असल में यह लड़ाई सिर्फ संपत्ति की नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया की भी है।
निष्कर्ष: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 अब सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं, बल्कि संविधान, अधिकारों और समुदायों की आत्म-पहचान से जुड़ा मुद्दा बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस दिशा में आने वाले वर्षों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है।