️भारतीय सेना के वेस्टर्न कमांड द्वारा हाल ही में जारी किया गया एक वीडियो विवादों में घिर गया, जिसमें कथित तौर पर पाकिस्तान के परमाणु-सक्षम शाहीन मिसाइल को दिखाया गया था। यह वीडियो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को दर्शाने के लिए पोस्ट किया गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर इसकी एक क्लिप तेजी से वायरल हो गई, जिससे भ्रम और अफवाहों का माहौल बन गया।

वेस्टर्न कमांड ने हटाया शाहीन मिसाइल वाला वीडियो, सोशल मीडिया पर उड़ी अफवाहें
सोशल मीडिया पर फैला भ्रम
सोमवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह चर्चा तेज हो गई कि पाकिस्तान ने भारत पर शाहीन मिसाइल दागा, जिसे भारत ने एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से मार गिराया। कई लोगों ने वीडियो के आधार पर दावा किया कि यह भारतीय सेना की बड़ी सैन्य सफलता है। हालांकि, यह बात पूरी तरह से अफवाह निकली।
❌ सेना का स्पष्टीकरण: “केवल प्रतीकात्मक चित्रण”
भारतीय सेना ने बाद में स्पष्ट किया कि वह वीडियो केवल प्रतीकात्मक उद्देश्य से बनाया गया था और उसमें जो मिसाइल दिखाई गई थी, वह किसी वास्तविक घटना से संबंधित नहीं थी। सेना के सूत्रों के अनुसार, “यह चित्र केवल प्रतिनिधित्व के लिए थे, लेकिन वीडियो में यह उल्लेख करना भूल हो गई।”
इस भूल को स्वीकारते हुए वीडियो को तुरंत हटा लिया गया, ताकि गलतफहमियों को बढ़ावा न मिले।
शाहीन मिसाइल क्या है?
शाहीन मिसाइल, पाकिस्तान की परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो भारत के लिए एक संभावित खतरा मानी जाती है। ऐसे में इस मिसाइल की तस्वीर भारतीय सेना के आधिकारिक वीडियो में दिखना कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था।
हालांकि, यह पुष्टि नहीं हुई है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वास्तव में पाकिस्तान ने कोई मिसाइल दागी थी या नहीं।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर एक हालिया सैन्य अभियान है, जिसकी कुछ जानकारियां ही सार्वजनिक की गई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह भारत द्वारा सीमा पर की गई रक्षात्मक कार्रवाई का हिस्सा था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इसकी विस्तृत जानकारी अभी नहीं दी है।
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो या क्लिप्स को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। सेना जैसी संवेदनशील संस्थाएं भी जब प्रतीकात्मक सामग्री इस्तेमाल करती हैं, तो उसमें स्पष्टता और सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है।
निष्कर्ष: वेस्टर्न कमांड द्वारा शाहीन मिसाइल वाले वीडियो को हटाया जाना और उसका स्पष्टीकरण देना इस बात की याद दिलाता है कि रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर किसी भी प्रकार की गलत सूचना गंभीर भ्रम फैला सकती है। सेना की ओर से तत्काल कार्रवाई इस मामले को शांत करने में सहायक रही, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में जानकारी की सत्यता की जांच करना हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है।