भारत की विदेश नीति हमेशा बहुपक्षीय रही है, जिसमें अमेरिका और रूस दोनों ही प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं। लेकिन जब भारत को वास्तव में किसी मित्र देश की आवश्यकता पड़ी, तब किसने साथ निभाया – यही प्रश्न आज के इस विश्लेषण का केंद्र है। इस लेख में हम ऐतिहासिक घटनाओं और ज्योतिषीय आधार पर यह जानने की कोशिश करेंगे कि भारत का सच्चा मित्र कौन है – अमेरिका या रूस?

भारत का सच्चा मित्र कौन: अमेरिका या रूस?
1971 का भारत-पाक युद्ध: रूस का मजबूत समर्थन
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने निर्णायक भूमिका निभाई। इस युद्ध में रूस ने भारत का न केवल कूटनीतिक समर्थन किया, बल्कि एक सैन्य समझौता भी किया, जिससे भारत को सुरक्षा का आश्वासन मिला।
दूसरी ओर, अमेरिका ने पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखाया और अपने युद्धपोत USS Enterprise को बंगाल की खाड़ी में भेजा, जो भारत पर दबाव बनाने की एक रणनीति मानी गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि संकट के समय रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा था।
कारगिल युद्ध 1999: राजनयिक बनाम रणनीतिक समर्थन
कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने पहली बार पाकिस्तान को खुले तौर पर चेतावनी दी, लेकिन उसका समर्थन केवल राजनयिक सीमाओं तक सीमित रहा। वहीं, रूस ने भारत को हथियार, सूचना और तकनीकी सहयोग देकर अपना समर्थन साबित किया। यह दर्शाता है कि रूस न केवल शब्दों में बल्कि व्यवहार में भी भारत के साथ रहा।
ज्योतिषीय विश्लेषण: ग्रहों की दृष्टि से कौन है अनुकूल?
भारत की कुंडली वृषभ लग्न की मानी जाती है, जिसका स्वामी शुक्र है। शुक्र ग्रह स्थायित्व, सौम्यता और भरोसे को दर्शाता है। दूसरी ओर, रूस की कुंडली कन्या लग्न की है और इसका स्वामी बुध है। ज्योतिष में बुध और शुक्र को मित्र माना गया है, जिससे भारत और रूस के बीच गहरे और स्थायी संबंधों का संकेत मिलता है।
अमेरिका की कुंडली वृश्चिक लग्न की है जिसका स्वामी मंगल है। शुक्र और मंगल को परस्पर तटस्थ या शत्रु स्वभाव का माना जाता है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत-अमेरिका संबंध अधिकतर लाभ आधारित और व्यावसायिक हो सकते हैं, स्थायित्व की गारंटी नहीं है।
भारत-अमेरिका संबंध: अवसरवादी या स्थायी?
हाल के वर्षों में अमेरिका और भारत के संबंधों में सुधार हुआ है। व्यापार, रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में दोनों देशों ने कई समझौते किए हैं। लेकिन यह भी देखा गया है कि अमेरिका के साथ संबंध अधिकतर सामरिक और आर्थिक लाभ के इर्द-गिर्द घूमते हैं। जैसे ही अमेरिका के हित बदलते हैं, उसकी नीतियों में भी बदलाव आता है।
उदाहरणस्वरूप, भारत ने रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा, लेकिन अमेरिका ने इसके खिलाफ चेतावनी दी। वहीं रूस ने इस समझौते को भारत की संप्रभुता का मामला माना और सहयोग जारी रखा।
नीति शास्त्र की दृष्टि से सच्चा मित्र कौन?
नीति शास्त्र में कहा गया है –
“मित्रं यः प्रतिकूलाय कार्याय च सुदुर्जनः।
स्नेहं यः संप्रदायैव हितं न विचिन्तयेत्॥”
इसका अर्थ है कि सच्चा मित्र वह नहीं जो केवल स्नेह दिखाए, बल्कि वह है जो कठिन परिस्थिति में आपके कार्यों में साथ दे। इस आधार पर अगर हम देखें तो रूस ने कई बार भारत के हितों को प्राथमिकता दी, जबकि अमेरिका का सहयोग अक्सर रणनीतिक स्वार्थों से जुड़ा रहा।
निष्कर्ष:
इतिहास, ज्योतिष और नीति शास्त्र – तीनों पहलुओं से यह स्पष्ट होता है कि रूस ने हमेशा भारत के साथ एक भरोसेमंद मित्र की भूमिका निभाई है। अमेरिका के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे अधिकतर व्यावसायिक और रणनीतिक हितों पर आधारित रहे हैं।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत का सच्चा मित्र वही है जो संकट में साथ दे – और अब तक के अनुभवों के अनुसार, वह मित्र रूस रहा है।