Why Turkey Support Pakistan Against India: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया बढ़े तनाव के दौरान तुर्किए ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया, जिसने भारत में राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसा क्या है कि तुर्किए बार-बार पाकिस्तान का पक्ष लेता है, जबकि कई मुस्लिम देश इस मामले में तटस्थ रहते हैं? दरअसल, तुर्किए के इस रुख के पीछे सिर्फ धार्मिक या रणनीतिक समीकरण नहीं, बल्कि एक बड़ा आर्थिक और रक्षा कारोबार भी छिपा है।

पहलगाम आतंकी हमला बना तनाव की वजह
Why Turkey Support Pakistan Against India: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें पाकिस्तान और POK (पाक अधिकृत कश्मीर) के 9 आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया गया। इसके अलावा पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर भी भारत ने करारा हमला किया।
तुर्किए का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना
Why Turkey Support Pakistan Against India: इन घटनाओं के बाद तुर्किए के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। कई देशों ने जहां इस तनाव में तटस्थ रवैया अपनाया, वहीं तुर्किए ने एकतरफा रुख दिखाते हुए भारत के खिलाफ पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए। सवाल यह उठता है कि आखिर तुर्किए ऐसा क्यों कर रहा है?
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असली वजह: हथियारों का बढ़ता व्यापार
तुर्किए ने हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है। वह अब दुनिया का 11वां सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक देश बन चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किए का डिफेंस एक्सपोर्ट 2019 से 2023 के बीच 106 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जो 2014-2018 की तुलना में दोगुना है। ऐसे में तुर्किए के लिए यह सिर्फ कूटनीतिक या धार्मिक समर्थन का मामला नहीं है, बल्कि वह पाकिस्तान के साथ बड़ी डिफेंस डील्स कर रहा है।
पाकिस्तान बना बड़ा ग्राहक
Why Turkey Support Pakistan Against India: तुर्किए ने अपने सबसे ज्यादा हथियार संयुक्त अरब अमीरात, फिर कतर और उसके बाद पाकिस्तान को बेचे हैं। यानी पाकिस्तान उसके लिए एक मजबूत बाजार बन चुका है। ऐसे में पाकिस्तान को सैन्य सहायता देना तुर्किए के लिए दोहरी लाभ की स्थिति बनाता है—एक तरफ वह मुस्लिम एकता और समर्थन का मुखौटा ओढ़े रहता है, दूसरी तरफ अपने रक्षा उत्पादों का बाजार मजबूत करता है।
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रणनीतिक नहीं, व्यावसायिक दोस्ती
तुर्किए और पाकिस्तान के रिश्ते भले ही धार्मिक और ऐतिहासिक नजरिए से मजबूत दिखाई देते हों, लेकिन वास्तविकता कहीं अधिक व्यावसायिक है। तुर्किए जानता है कि भारत जैसे विशाल बाजार में उसकी राजनीतिक गतिविधियों की सीमाएं हैं, इसलिए वह पाकिस्तान जैसे देशों के साथ सैन्य सहयोग और हथियार आपूर्ति के जरिए अपने डिफेंस सेक्टर को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर आगे बढ़ाना चाहता है।
निष्कर्ष
तुर्किए का पाकिस्तान को समर्थन केवल एक राजनीतिक या धार्मिक स्टैंड नहीं है, बल्कि उसके पीछे हथियारों के निर्यात का एक बड़ा एजेंडा है। भारत के खिलाफ उसके हालिया रुख को इसी दृष्टि से समझा जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे कदमों का रणनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर जवाब दिया जा सके।