Youtuber ANI Controversy: भारत के यूट्यूब क्रिएटर्स के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। एएनआई (ANI) द्वारा भारी भरकम लाइसेंस शुल्क और हर्जाना मांगने के कुछ ही दिनों बाद, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) ने यूट्यूबर्स के लिए अपने वीडियो फुटेज को किफायती दरों पर उपलब्ध कराने की घोषणा की है।

यूट्यूबर्स को राहत: ANI के लाइसेंस विवाद के बाद PTI ने पेश किया सस्ता वीडियो विकल्प
PTI का बयान: भरोसेमंद पत्रकारिता, उचित व्यापार नीति
27 मई 2025 को पीटीआई ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, “भारत की सबसे भरोसेमंद समाचार एजेंसी के रूप में, हम प्रमाणिक पत्रकारिता और नैतिक व्यापारिक व्यवहार के प्रति प्रतिबद्ध हैं। जिम्मेदार कंटेंट क्रिएशन को बढ़ावा देने के लिए हम यूट्यूब क्रिएटर्स को किफायती दरों पर पीटीआई वीडियो उपलब्ध करवा रहे हैं।”
PTI और ANI दोनों ही समाचार एजेंसियाँ हैं जो समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और डिजिटल माध्यमों को देश-विदेश से टेक्स्ट, फोटो और वीडियो सामग्री प्रदान करती हैं। हालांकि, PTI ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह यूट्यूबर्स से वीडियो के उपयोग के लिए कितना शुल्क लेगी।
ANI और यूट्यूबर्स के बीच विवाद क्या है? (Youtuber ANI Controversy)
हाल ही में, कई यूट्यूबर्स ने यह दावा किया कि ANI ने उनसे पुराने वीडियो फुटेज के उपयोग पर ₹48 लाख तक का हर्जाना और लाइसेंस शुल्क मांगा है। मशहूर यूट्यूबर्स जैसे मोहक मंगल और रजत पवार ने अपने-अपने चैनलों पर इस मुद्दे को लेकर विस्तृत वीडियो साझा किए।
यूट्यूबर्स का कहना है कि उन्होंने ANI के क्लिप्स का उपयोग “फेयर यूज़” (Fair Use) के तहत किया, जिसमें किसी कंटेंट का विश्लेषण, आलोचना या सूचना देने के लिए सीमित उपयोग की अनुमति होती है।
भारत में फेयर यूज़ बनाम कॉपीराइट कानून
Youtuber ANI Controversy: अमेरिका में “फेयर यूज़” की अवधारणा विभिन्न अदालतों के फैसलों के ज़रिए विकसित हुई है और वहां यह एक कानूनी अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत में, इसे “फेयर डीलिंग” के नाम से जाना जाता है और यह कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत आता है।
हालांकि भारत में फेयर डीलिंग का उपयोग शिक्षा और मनोरंजन के मामलों में देखा गया है, लेकिन समाचार एजेंसियों के वीडियो उपयोग पर न्यायपालिका ने अभी तक कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी है।
यूट्यूबर्स की दुविधा और PTI की पहल
Youtuber ANI Controversy Solution by PTI: ANI के विवाद के बाद यूट्यूबर्स के बीच डर का माहौल बन गया था। छोटे कंटेंट क्रिएटर्स जिन्हें पता ही नहीं होता कि कौन सा वीडियो कॉपीराइट के तहत आता है, वे कानूनी कार्रवाइयों से बचने के लिए अपने वीडियो हटाने लगे।
ऐसे माहौल में PTI का यह कदम काफी सकारात्मक माना जा रहा है। यह न केवल स्वतंत्र पत्रकारिता और डिजिटल क्रिएटर्स के समर्थन में है, बल्कि यह देश में डिजिटल अधिकारों और मीडिया स्वतंत्रता के लिए एक अहम पहल भी है।
वीडियो उपयोग का नया युग: क्रिएटर्स के लिए विकल्प
इस घटना ने डिजिटल मीडिया क्रिएटर्स को यह सोचने पर मजबूर किया है कि वे किस प्रकार का कंटेंट उपयोग कर सकते हैं और किन एजेंसियों से लाइसेंस लेना जरूरी है।
PTI जैसे संस्थान, जो भरोसेमंद सामग्री उचित शुल्क पर उपलब्ध कराते हैं, यूट्यूबर्स के लिए एक भरोसेमंद सहयोगी साबित हो सकते हैं।
तुलना: ANI बनाम PTI की नीतियाँ
नीचे दी गई तालिका में दोनों एजेंसियों की नीतियों की तुलना की गई है:
विषय | ANI | PTI |
---|---|---|
सेवा प्रकार | समाचार, वीडियो, फोटो एजेंसी | समाचार, वीडियो, फोटो एजेंसी |
लाइसेंस शुल्क | ₹10 लाख से ₹48 लाख तक का दावा | “किफायती दरों” का वादा, राशि स्पष्ट नहीं |
यूट्यूबर्स के लिए नीति | हर्जाना और कॉपीराइट उल्लंघन के नोटिस | यूट्यूबर्स के लिए सहयोगी रुख |
कानूनी चेतावनी | कई क्रिएटर्स को नोटिस भेजे गए | अभी तक कोई कानूनी विवाद नहीं |
पब्लिक कम्युनिकेशन | प्रतिक्रिया में दृढ़ता दिखाई | संयम और समर्थन का रुख |
निष्कर्ष: डिजिटल युग में सहयोग ज़रूरी (Youtuber ANI Controversy)
आज जब भारत में यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र पत्रकारिता, राजनीतिक विश्लेषण और शैक्षणिक वीडियो तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, तब यह जरूरी है कि समाचार एजेंसियाँ और कंटेंट क्रिएटर्स के बीच सहयोग की भावना बनी रहे।
PTI की यह पहल डिजिटल लोकतंत्र को मज़बूत करने और कंटेंट क्रिएटर्स को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उम्मीद है कि अन्य मीडिया एजेंसियाँ भी इससे प्रेरणा लेंगी और पारदर्शी, न्यायसंगत लाइसेंस प्रणाली अपनाएंगी।
अगर आप एक यूट्यूबर हैं और आप समाचार सामग्री का उपयोग करना चाहते हैं, तो यह समय है कि आप लाइसेंस और कॉपीराइट की शर्तों को गंभीरता से समझें — और जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देने वाले विकल्पों को अपनाएं।
Source: The Hindu