Rabindra Nagar West Bengal Riots महेशतला (दक्षिण 24 परगना) के रवींद्र नगर क्षेत्र की गलियों में गुरुवार, 12 जून को भी तनाव का माहौल बना रहा, जब बुधवार को हुई हिंसा के बाद लोग अब भी डर और नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकांश दुकानों के शटर बंद रहे, कई दुकानों के शीशे टूटे पड़े थे और सड़कों पर पत्थर बिखरे हुए थे।
हालांकि नगर निगम के कर्मचारी गुरुवार सुबह से ही साफ-सफाई में लगे रहे, लेकिन जली हुई गाड़ियों से उठती जलन भरी गंध वातावरण में छाई रही। पुलिस ने जल चुकी एक बाइक को हटाया और स्थानीय लोगों ने पत्थर समेटने शुरू कर दिए। इस हिंसा में कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए और कई लोग घायल हुए हैं।

Rabindra Nagar West Bengal Riots रवींद्र नगर में हिंसा के बाद पसरा सन्नाटा: लोग खौफ और नुकसान के साए में
Rabindra Nagar West Bengal Riots – एक दुकानदार ने आँसू भरी आँखों से कहा, “हम अपने नुकसान का हिसाब लगा रहे हैं। हमारी दुकान तोड़ दी गई। पुलिस ने कहा है कि आज दुकान मत खोलिए। ऐसे में हमारा गुज़ारा कैसे होगा?”
कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस ने 11 और 12 जून की दरम्यानी रात को 40 लोगों को गिरफ़्तार किया है। अब तक 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं। हिंसा की शुरुआत वार्ड नंबर 7, महेशतला में बुधवार सुबह एक दुकान लगाने के विवाद को लेकर हुई। बात ने साम्प्रदायिक मोड़ तब ले लिया जब एक धार्मिक स्थल पर हमले की अफवाह फैली।
स्थिति बिगड़ने पर दो गुटों में जमकर पत्थरबाज़ी हुई और पुलिस पर भी हमला किया गया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया। यह घटना रवींद्र नगर थाना से कुछ ही दूरी पर हुई, लेकिन पुलिस का कहना है कि उस समय पर्याप्त बल तैनात नहीं था।
Rabindra Nagar West Bengal Riots
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने बताया कि “स्थिति अब नियंत्रण में है।” क्षेत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिससे लोगों की आवाजाही और जमावड़े पर रोक है। गुरुवार को रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की भारी तैनाती की गई।
एक फूड स्टॉल चलाने वाले गोपाल बसु ने कहा, “हमने शटर गिराया और अंदर भाग गए। बाहर की दीवारें तोड़ दी गईं। मैं घायल हो गया हूं।” वे पुलिस स्टेशन के पास अपना टूटा हुआ ठेला समेटते हुए भावुक हो उठे।
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को भी पास में ही रोक दिया गया। स्थानीय पुजारी रमेश पाठक ने बताया, “ये सब एक फल की दुकान लगाने को लेकर शुरू हुआ था। पता नहीं कैसे इतना बढ़ गया कि पत्थर चलने लगे और लोग घायल हो गए।” रवींद्र नगर के कई निवासियों ने बताया कि यह इलाका वर्षों से शांति और भाईचारे का प्रतीक रहा है और यहां कभी कोई बड़ा साम्प्रदायिक विवाद नहीं हुआ। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह बात आपस में बैठकर सुलझाई जा सकती थी। इसमें हिंसा की कोई जरूरत नहीं थी।”
- Also Read –मुन्नार कांड : हनीमून की आड़ में कत्ल, 2006 के मुन्नार केस की फिर से झलक, इस बार मेघालय में
Rabindra Nagar West Bengal Riots – तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फिरहाद हाकिम ने भरोसा दिलाया कि पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि महज कुछ हफ्ते पहले ही अप्रैल में मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज और धुलियन में भी साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसमें तीन लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे।
रवींद्र नगर की घटना ने एक बार फिर राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासन की तत्परता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर लोग शांति बहाली की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है।