Iran Israel War impact India: – 13 जून 2025 को इस्राइल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर अचानक हमला किया गया। इस हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की हत्या कर दी गई और कई शहरों में बमबारी की गई। ईरान ने भी तीखा जवाब देते हुए इस्राइल पर कई बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। यह संघर्ष अब एक सप्ताह से अधिक समय से जारी है और इसके प्रभाव भारत पर भी पड़ने लगे हैं।

इस्राइल-ईरान संघर्ष का भारत पर संभावित प्रभाव: विस्तार से समझें
भारत की प्रतिक्रिया: संतुलन साधने की कोशिश (Iran Israel War impact India)
Iran Israel War impact India – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमलों की जानकारी दी। भारत ने न तो हमले की निंदा की और न ही समर्थन किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ईरानी और इस्राइली विदेश मंत्रियों से बात कर क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
भारत ने ‘डायलॉग और डिप्लोमेसी’ की बात की, लेकिन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा इस्राइल की आलोचना करने वाले बयान से खुद को अलग कर लिया। इससे भारत की “संतुलित कूटनीति” का संकेत मिलता है, लेकिन आलोचकों के अनुसार यह रुख अब पहले जैसा निष्पक्ष नहीं रहा।
Iran Israel War impact India भारतीय नागरिकों की सुरक्षा: ऑपरेशन सिंधु
भारत सरकार ने युद्धग्रस्त इलाकों से भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। ईरान और इस्राइल में क्रमशः करीब 10,000 और 25,000 भारतीय छात्र, पेशेवर और श्रमिक हैं। इनमें से कई इस्राइल में हाल ही में पहुंचे हैं, क्योंकि अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद इस्राइल ने हजारों फिलिस्तीनी कामगारों को हटा दिया था।
ईरान ने विशेष रूप से भारतीयों की निकासी के लिए अपने हवाई क्षेत्र को खोला है। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लौटने वाले भारतीयों को देश में काम या अध्ययन के अवसर मिलें, ताकि वे फिर से संघर्ष क्षेत्रों की ओर न लौटें।
Iran Israel War impact India आर्थिक असर: व्यापार, तेल और महंगाई
ईरान और इस्राइल दोनों के साथ भारत का व्यापार हाल के वर्षों में गिरा है।
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ईरान से व्यापार 2017 के $14 अरब से गिरकर 2024 में $1.4 अरब रह गया।
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इस्राइल से व्यापार $11 अरब से घटकर $3.75 अरब हो गया।
हालांकि, भारत इस्राइल से रक्षा उपकरणों का बड़ा आयातक है — 2015 में $5.6 मिलियन से अब $128 मिलियन तक।
सबसे बड़ा खतरा है ‘हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य’ का बंद होना। यह मार्ग भारत के ऊर्जा आयात का 40-50% हिस्सा वहन करता है। इसके बंद होने पर तेल और गैस की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे भारत में महंगाई, व्यापार घाटा और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
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Iran Israel War impact India कूटनीतिक चुनौतियाँ: अमेरिका, खाड़ी और BRICS
भारत की विदेश नीति के लिए यह टकराव एक कठिन दौर लेकर आया है।
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अमेरिका और G7 देश इस्राइल का समर्थन कर रहे हैं।
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ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को रणनीतिक सहायता के संकेत दिए हैं, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं।
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वहीं, ग्लोबल साउथ और BRICS जैसे मंचों पर ईरान के प्रति सहानुभूति दिखाई जा रही है।
6-7 जुलाई को ब्राज़ील में BRICS शिखर सम्मेलन होना है, जिसमें ईरान भी नया सदस्य है। ऐसे में भारत के लिए किसी भी “विरोधी बयान” से खुद को अलग करना मुश्किल होगा।
भू-रणनीतिक परियोजनाओं पर प्रभाव 90
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चाबहार पोर्ट: भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया से व्यापारिक कनेक्टिविटी के लिए अहम, अब युद्ध के कारण अस्थिर।
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इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC): पहले ही अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद ठप, अब और अनिश्चित।
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उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भी बाधित हो सकता है।
इन परियोजनाओं में निवेश के बावजूद भारत को आशंका है कि लंबी लड़ाई से इनका भविष्य अधर में पड़ जाएगा।
निष्कर्ष: भारत को चाहिए सतर्क, सक्रिय और संतुलित नीति
इस्राइल-ईरान संघर्ष का सीधा असर भारत की कूटनीति, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ सकता है। ऐसे में भारत को न केवल नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, बल्कि व्यापार, विदेश नीति और रणनीतिक निवेशों की दिशा में भी सतर्क कदम उठाने होंगे।
भारत की भूमिका एक “शांतिदूत” की हो सकती है — जो न तो किसी पक्ष के खिलाफ जाए, और न ही निष्क्रिय बना रहे। यदि समय रहते संघर्ष का समाधान नहीं हुआ, तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव भारत के लिए गंभीर हो सकते हैं।