Cancer Epidemic in India: भारत में “चाय-सुट्टा” एक आम दृश्य है – कार्यस्थलों, चाय की दुकानों और कॉलेज कैंपसों में सिगरेट और चाय की यह जोड़ी बहुत लोकप्रिय है। लेकिन यह जोड़ी अब भारत में एक कैंसर महामारी का कारण बनती जा रही है।
वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, भारत पुरुषों में कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर में पहले स्थान पर है। विशेष रूप से, भारत में तंबाकू से संबंधित कैंसर में होंठ और मुख कैंसर सबसे अधिक पाए जाते हैं, इसके बाद फेफड़ों का कैंसर आता है।

भारत में तंबाकू के बढ़ते प्रचलन और कैंसर संकट की गंभीर तस्वीर
तंबाकू की व्यापकता और सस्ती उपलब्धता
Cancer Epidemic in India: GATS-2 (Global Adult Tobacco Survey) के अनुसार, भारत में 42% पुरुष और 14% महिलाएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं। भारत दुनिया के 70% स्मोकलेस तंबाकू (SLT) उपभोक्ताओं का घर है। ग्रामीण इलाकों में बीड़ी अधिक प्रचलित है क्योंकि यह सस्ती होती है। दुकानदार कहते हैं, “बीड़ी गांव के लोगों की पहुँच में है, सिगरेट शहरी लोगों के लिए है। लेकिन अब गांव में भी लोग सिगरेट ट्राय करना चाहते हैं।”
तंबाकू का कोई भी रूप – चाहे वह SLT हो या धूम्रपान – कैंसर की संभावना को कई गुना बढ़ा देता है। खासकर मुंह, गला, फेफड़ा, पेट और अग्नाशय जैसे अंग इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
आर्थिक बोझ और सामाजिक परिणाम
Cancer Epidemic in India: तंबाकू सेवन से न केवल स्वास्थ्य पर, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर पड़ा है। वर्ष 2017-18 में तंबाकू के कारण भारत को ₹1.77 लाख करोड़ (GDP का 1.04%) का आर्थिक नुकसान हुआ। इसमें से 74% नुकसान धूम्रपान के कारण और 26% SLT के कारण हुआ।
राजीव, एक पिता जिन्होंने कैंसर के डर से धूम्रपान छोड़ दिया, कहते हैं, “हमें तब समझ में आया जब अस्पताल के बिल आने लगे। तंबाकू न सिर्फ पैसा खाता है, बल्कि आपकी जिंदगी और आपके परिवार की खुशियाँ भी छीन लेता है।”
भारत में तंबाकू सेवन और कैंसर से जुड़ी मुख्य जानकारियाँ
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| तंबाकू उपयोगकर्ता प्रतिशत | पुरुष: 42%, महिलाएं: 14% |
| प्रमुख तंबाकू-जनित कैंसर | भारत: होंठ/मुख, फेफड़ा; विश्व: फेफड़ा |
| SLT उपयोग में भारत का स्थान | विश्व में पहला स्थान |
| तंबाकू से आर्थिक नुकसान (2017-18) | ₹1.77 लाख करोड़ (GDP का 1.04%) |
| बीड़ी की औसत कीमत | ₹12 (कुछ जगह ₹5 में भी उपलब्ध) |
| सिगरेट की औसत कीमत | ₹95 (सिंगल स्टिक ₹15 में उपलब्ध) |
| SLT की औसत कीमत | ₹5 (कुछ उत्पाद ₹1 में भी मिलते हैं) |
| एकल सिगरेट बिक्री का स्तर | 87% दुकानदार एकल स्टिक बेचते हैं (भारत में वैध) |
क्यों नहीं रुक रही तंबाकू की खपत?
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आर्थिक पहुंच: तंबाकू आज भी बेहद सस्ता है। बीड़ी और SLT ₹1-5 में भी मिल जाती हैं। एक मजदूर जिसे रोज ₹170 कमाने होते हैं, आसानी से 2-3 पैकेट तंबाकू खरीद सकता है।
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सिंगल स्टिक बिक्री: सिगरेट की एकल स्टिक बिक्री पर 88 देशों में रोक है, लेकिन भारत में यह प्रथा अब भी जारी है। इससे स्वास्थ्य चेतावनियाँ भी नजरअंदाज हो जाती हैं।
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चाय-सुट्टा संस्कृति: कॉलेजों और कामकाजी वर्ग में “चाय-सुट्टा ब्रेक” एक मानसिक आदत बन चुकी है।
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कर नीति की कमजोरी: तंबाकू पर GST 35% है, जबकि WHO की सिफारिश 75% MRP टैक्स की है।
समाधान की दिशा
तंबाकू की इस महामारी से निपटने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है:
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नियमित टैक्स वृद्धि: जिससे तंबाकू आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाए।
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एकल स्टिक पर प्रतिबंध: इससे उपभोक्ताओं को पूरा पैकेट खरीदने पर मजबूर किया जा सकेगा, और चेतावनियाँ नजर में आएंगी।
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स्वास्थ्य चेतावनियों के साथ प्लेन पैकेजिंग लागू की जानी चाहिए।
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तंबाकू कर से स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश: विशेषकर कैंसर स्क्रीनिंग और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान।
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चाय की दुकानों के पास बिक्री प्रतिबंध: ताकि ‘चाय-सुट्टा’ संस्कृति को रोका जा सके।
निष्कर्ष
भारत को तंबाकू से जुड़ी स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों से लड़ने के लिए तुरंत और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। यदि समय रहते यह नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में कैंसर महामारी और गंभीर रूप ले सकती है।
यह सिर्फ आज की ज़िंदगी बचाने की बात नहीं है, यह भविष्य की पीढ़ी को एक स्वस्थ सोच देने का प्रयास है।