Canada USA Tention: ब्रिटिश सम्राट किंग चार्ल्स III की हालिया कनाडा यात्रा वैश्विक राजनीति और कनाडा की राष्ट्रीय संप्रभुता को लेकर चर्चा में है। इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य न केवल कनाडा की जनता के साथ संवाद बनाना था, बल्कि यह एक राजनैतिक संकेत भी था—सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के जवाब में।

किंग चार्ल्स III की कनाडा यात्रा: ट्रंप को जवाब या राष्ट्रीय गौरव की प्रतीक?
️ ट्रंप के ’51वां राज्य’ वाले बयान से उपजा विवाद
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को कनाडा को “संघ में शामिल कर लेना चाहिए”, यानी उसे 51वां राज्य बना लेना चाहिए। इस बयान ने कनाडा में तीखी प्रतिक्रिया पैदा की और इसे सीधा संप्रभुता पर हमला माना गया।
इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने एक बड़ा कदम उठाया—उन्होंने किंग चार्ल्स III को आमंत्रित किया कि वे कनाडाई संसद में ‘थ्रोन स्पीच’ दें। इस भाषण में सरकार की नई नीतियों और दिशा की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है।
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सम्राट का संबोधन: एक दुर्लभ घटना
कनाडा में किसी सम्राट द्वारा थ्रोन स्पीच देना एक अत्यंत दुर्लभ घटना है। किंग चार्ल्स की मां, रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय, ने अपने 70 वर्ष के शासनकाल में केवल दो बार ऐसा किया था, आखिरी बार 1977 में।
इस बार, किंग चार्ल्स का भाषण न केवल औपचारिक था, बल्कि इसका प्रतीकात्मक महत्व भी बहुत बड़ा था। यह कनाडा की संवैधानिक संप्रभुता और ब्रिटिश राजशाही से इसके ऐतिहासिक संबंधों का प्रमाण था।
Canada USA Tention – किंग चार्ल्स ने संसद से किया संबोधन
“हम अलग हैं”, कार्नी का संदेश
प्रधानमंत्री कार्नी ने स्पष्ट किया कि इस यात्रा और भाषण का उद्देश्य था यह बताना कि कनाडा अमेरिका से अलग है—इतिहास में, संविधान में और शासन व्यवस्था में।
“अमेरिका ने स्वतंत्रता के लिए क्रांति की थी, जबकि कनाडा ने धीरे-धीरे 1867 में स्वायत्तता प्राप्त की और ब्रिटिश संसदीय प्रणाली को बनाए रखा,” – पूर्व क्यूबेक प्रीमियर जीन चरेस्ट।
यह भी कहा गया कि किंग चार्ल्स, जो अब कनाडा के राज्य प्रमुख हैं, उनकी उपस्थिति इस अंतर को दर्शाने के लिए सर्वोत्तम उदाहरण है।
भाषण कनाडा सरकार द्वारा लिखा गया
ध्यान देने योग्य बात यह है कि किंग चार्ल्स द्वारा पढ़ा गया भाषण उनके ब्रिटिश सलाहकारों द्वारा नहीं लिखा गया, बल्कि यह कनाडा सरकार द्वारा तैयार किया गया था। यह कनाडा की स्वायत्तता का एक और संकेत था।
कनाडा के रॉयल इतिहासकार जस्टिन वोवक ने बताया कि किंग चार्ल्स का यह संतुलन साधना आसान नहीं होता—उन्हें 14 अन्य राष्ट्रों की संप्रभुता का भी ध्यान रखना पड़ता है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और आलोचना
अमेरिकी राजदूत पीट हॉकस्ट्रा ने इस पूरे आयोजन को “अवश्यक नहीं” बताया और कहा कि अगर संदेश देना था तो सीधे कॉल करके बात की जा सकती थी। लेकिन कनाडा सरकार और जनता के अनुसार, यह एक संप्रभु देश की गरिमा दिखाने का तरीका था।
इतिहासकार कैरोलिन हैरिस ने भी उम्मीद जताई कि ट्रंप इस यात्रा को नोटिस जरूर करेंगे, क्योंकि वह ब्रिटिश राजघराने के बड़े प्रशंसक रहे हैं।
️ कनाडा को दिखाया समर्थन
हाल ही में किंग चार्ल्स ने एक ब्रिटिश युद्धपोत पर कनाडाई सेना के मेडल पहनकर भी कनाडा के प्रति अपना समर्थन दिखाया था। उनकी यात्रा के दौरान उन्होंने स्ट्रीट हॉकी मैच का पहला पक्क (puck) गिराया, एक समुदायिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कनाडा के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित किए।
उन्होंने कनाडा की राज्यपाल जनरल और प्रधानमंत्री कार्नी से भी मुलाकात की।
निष्कर्ष: संप्रभुता का प्रतीक या कूटनीतिक जवाब?
किंग चार्ल्स III की यह यात्रा केवल एक औपचारिक राज्य दौरा नहीं थी, बल्कि यह संप्रभुता का स्पष्ट प्रदर्शन थी। यह संदेश साफ था कि कनाडा एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और संवैधानिक रूप से मजबूत राष्ट्र है, जो अपनी पहचान और सीमाओं की रक्षा करना जानता है।