Munnar Kand: 2006 में केरल के मुन्नार में हुई एक चौंकाने वाली हनीमून हत्या की गूंज आज 19 साल बाद मेघालय के सोहरा में हुई इंदौर व्यापारी राजा रघुवंशी की हत्या में सुनाई दे रही है। दोनों मामलों में आरोप है कि पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की साजिश रची।

Munnar Kand – दो कहानियाँ, एक साजिश: कैसे प्यार, धोखा और हत्या ने दो हनीमून को बना दिया खूनी त्रासदी
2006 का मुन्नार कांड: चेनई के शंकर नगर, पममल के रहने वाले 30 वर्षीय अनंतरामन ने 24 वर्षीय विद्यालक्ष्मी से शादी की थी। शादी के महज 9 दिन बाद, 16 जून 2006 की रात दोनों हनीमून पर केरल के त्रिशूर पहुंचे। अगले दिन उन्होंने गुरुवायूर मंदिर में पूजा की और फिर मुन्नार स्थित स्टर्लिंग रिसॉर्ट्स में चेक-इन किया।
अगले दिन दोनों कुंडला डैम घूमने गए। वहां पैडल बोट की सवारी के बाद वे एक सुनसान जगह पर चले गए। थोड़ी देर बाद, विद्यालक्ष्मी दौड़ती हुई टैक्सी ड्राइवर के पास आई और कहा कि दो अज्ञात लोगों ने उनके पति को गला दबाकर मार डाला और उनके गहने व पैसे लूट लिए।
ड्राइवर ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। उसी समय, दो युवक आनंद और अंबुराज, जो कुंडला डैम से एक ऑटोरिक्शा में होटल अराफा जा रहे थे, पुलिस की गाड़ियों को देख घबरा गए। उन्होंने ड्राइवर से कहा कि वे तुरंत मुन्नार छोड़ना चाहते हैं। ड्राइवर को शक हुआ और उसने पुलिस को सूचित किया।
Munnar Kand सच्चाई खुली – प्रेम, धोखा और खून
जांच में पता चला कि आनंद और विद्यालक्ष्मी स्कूल के समय से प्रेम में थे। लेकिन आनंद की आर्थिक स्थिति और जातिगत कारणों से परिवार ने इस रिश्ते को नकार दिया और विद्यालक्ष्मी की शादी अनंतरामन से कर दी।
जांच से यह भी सामने आया कि आनंद और अंबुराज उसी ट्रेन से अनारक्षित डिब्बे में सफर कर रहे थे, जिससे नवविवाहित जोड़ा हनीमून पर गया था। आनंद को पहले एक अन्य साथी के साथ आना था, लेकिन उसके मना करने पर अंबुराज को शामिल किया गया।
गुरुवायूर मंदिर में आनंद और विद्यालक्ष्मी की गुप्त मुलाकात हुई थी। मुन्नार में वे उसी रिसॉर्ट में चेक-इन करने की कोशिश करते रहे लेकिन विफल होने पर पास के होटल में रुके। 18 जून को वे कुंडला डैम पहुंचे और अनंतरामन को उसके कैमरे की पट्टी से गला घोंटकर मार डाला।
विद्यालक्ष्मी ने पहले पुलिस को बताया कि अज्ञात हमलावरों ने हमला किया, लेकिन बाद में अपने पति के भाई को बताया कि टैक्सी ड्राइवर ने हत्या की। यही विरोधाभास बाद में अभियोजन पक्ष के लिए अहम सबूत बना।
Munnar Kand गवाह बना ऑटोरिक्शा ड्राइवर
जांच के दौरान आनंद के पास से एक ट्रैवल इटिनरेरी (यात्रा योजना) बरामद हुई, जो विद्यालक्ष्मी ने ही तैयार की थी। पुलिस को तीनों के कपड़ों पर खून के धब्बे मिले जो अनंतरामन के खून से मेल खाते थे।
बड़ी बात यह थी कि विद्यालक्ष्मी अपने पति की जानकारी के बिना उसके फोन से लगातार आनंद के संपर्क में थी। मोबाइल नेटवर्क खराब होने पर आनंद ने ऑटोरिक्शा ड्राइवर के फोन से अंतिम निर्देश लिए थे।
सजा और अदालत का फैसला
तीनों को गिरफ्तार कर देविकुलम उप-जेल में रखा गया। एक साल बाद ट्रायल कोर्ट ने आनंद और विद्यालक्ष्मी को दोहरी उम्रकैद और अंबुराज को उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्होंने केरल हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन 2012 में अदालत ने अपील खारिज कर दी।
जजों ने अपने फैसले में कहा कि प्रेम संबंध खत्म होने की दलील कमजोर थी क्योंकि कोर्ट के पास शादी से पहले और बाद की कॉल डिटेल्स और प्रेम पत्रों के पर्याप्त प्रमाण थे।
अदालत ने यह भी टिप्पणी की:
“शायद उसके दिमाग में और भी शातिर योजनाएँ थीं और उसने सोचा कि अगर वह विधवा बन जाए तो उसे आनंद के साथ जीवन बिताने का मौका मिल सकता है।”
सीख क्या है?
इस केस को उसी दिन सुलझा लिया गया, जबकि मेघालय का मामला एक हफ्ते बाद खुला। इसका श्रेय ऑटोरिक्शा ड्राइवर को जाता है, जिसकी सतर्कता और समय पर सूचना ने जांच की दिशा बदल दी। अदालत ने भी उसकी गवाही को बेहद निर्णायक माना।