SEBI on ADANI Group: कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और अडानी समूह पर सीधा हमला बोला है। मंगलवार, 20 मई 2025 को कांग्रेस ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत की प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अडानी समूह के शेयरों से जुड़े दो मॉरिशस स्थित ऑफशोर फंड्स को चेतावनी जारी की है।

SEBI की चेतावनी के बाद कांग्रेस का मोदी सरकार पर वार, अडानी ग्रुप को बताया लाभार्थी
मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देकर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन सच्चाई धीरे-धीरे उजागर हो रही है। पार्टी का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट हो गया है कि SEBI इस मुद्दे को लेकर सतर्क है, लेकिन फिर भी कार्रवाई में देरी हो रही है।
कांग्रेस के प्रवक्ताओं का आरोप है कि जांच में जानबूझकर देरी की जा रही है, ताकि अडानी समूह को फायदा होता रहे। उन्होंने कहा कि ये देरी न सिर्फ जनता के हितों के खिलाफ है, बल्कि इससे बाजार में पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।
SEBI (SEBI on ADANI Group) ने क्या किया?
रिपोर्ट्स के अनुसार, SEBI ने अडानी समूह में निवेश करने वाले दो मॉरिशस स्थित फंड्स को चेतावनी दी है। ये फंड्स अडानी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं, लेकिन इनकी पारदर्शिता और असली स्वामित्व को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके हैं।
कांग्रेस का दावा है कि इन फंड्स के पीछे कौन लोग हैं और उनका संबंध अडानी समूह से किस स्तर तक है, यह अब तक साफ नहीं हुआ है। SEBI की चेतावनी से यह संकेत मिलता है कि नियामक संस्थाएं इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया है।
SEBI on ADANI Group “जांच में देरी, अडानी को लाभ”
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि SEBI द्वारा चेतावनी जारी करने के बावजूद जांच को जानबूझकर खींचा जा रहा है। इससे अडानी समूह को समय मिल रहा है अपनी स्थिति को बेहतर बनाने और निवेशकों का भरोसा बनाए रखने का।
पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि जब उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर समयबद्ध जांच के निर्देश दिए थे, तो फिर इतनी लंबी देरी क्यों हो रही है? कांग्रेस का कहना है कि यह सब “राजनीतिक संरक्षण” का परिणाम है।
सरकार पर सीधा आरोप
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि वे लगातार अडानी समूह की सुरक्षा में लगे हुए हैं। पार्टी का कहना है कि जब भी अडानी से जुड़े किसी विवाद या घोटाले की बात होती है, सरकार या तो चुप रहती है या उसे झूठ बताकर खारिज कर देती है।
पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब अडानी समूह विवादों में है, और हर बार सरकार की भूमिका सवालों के घेरे में आई है।
जनता के हितों की अनदेखी?
कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की बड़ी वित्तीय अनियमितताओं से केवल शेयर बाजार ही नहीं, आम निवेशक भी प्रभावित होते हैं। अगर नियामक संस्थाएं कार्रवाई में देरी करती हैं, तो इसका नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है।
पार्टी ने यह मांग की कि जांच की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और अडानी समूह के खिलाफ जो भी सबूत सामने आए हैं, उन्हें सार्वजनिक किया जाए।
निष्कर्ष
अडानी समूह से जुड़े विवाद लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। कांग्रेस द्वारा उठाए गए नए सवाल और SEBI की चेतावनियों ने एक बार फिर इस मुद्दे को गर्मा दिया है। जहां एक ओर सरकार पर जांच में देरी और संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे जनता के साथ विश्वासघात बता रहा है।
जांच प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष होती है, और इसके नतीजे क्या निकलते हैं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन फिलहाल, यह मुद्दा राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही मोर्चों पर गंभीर बहस का कारण बन गया है।