Why Mansoon Early in Kerala: भारत में मानसून का आगमन हर वर्ष करोड़ों लोगों की उम्मीदों और चुनौतियों से जुड़ा होता है। इस वर्ष, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 मई को केरल पहुंच गया, जो सामान्य तारीख से लगभग एक सप्ताह पहले है। हालांकि 1975 से अब तक सबसे जल्दी मानसून 19 मई 1990 को आया था।

2025 में समय से पहले आया मानसून: विज्ञान, बदलाव और अनिश्चितताएं
(Why Mansoon Early in Kerala) क्या है समय से पहले मानसून आने का रहस्य?
इस सवाल का छोटा और सटीक जवाब है: हम निश्चित नहीं जानते। मानसून का आगमन सामान्यतः 1 जून के आसपास होता है, लेकिन इसमें कुछ दिन आगे-पीछे हो सकते हैं। जल्दी मानसून आना खुशी की बात होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरे सीजन में अच्छी बारिश होगी। हालांकि, यदि मानसून दो सप्ताह से अधिक देर से आता है, तो सामान्यतः बारिश में कमी देखी जाती है।
मानसून के आगमन का विज्ञान (Why Mansoon Early in Kerala)
मानसून के आगमन को लेकर कई वैज्ञानिक सिद्धांत हैं, लेकिन अब तक कोई भी एकमत वैज्ञानिक मॉडल नहीं बना है जो इसे पूरी तरह समझा सके। एल-नीनो और ला-नीना जैसी वैश्विक जलवायु घटनाएं भी इसे सही तरीके से नहीं समझा पाई हैं। बंगाल की खाड़ी से केरल तक मानसून की ट्रफ (नीचे दबाव की रेखा) की यात्रा पर वैज्ञानिक नजर रखते हैं, लेकिन इसे प्रभावित करने वाले कारक कई हैं।
1970 के दशक से मानसून का आगमन कुछ दिनों की देरी से होता आ रहा है। इसके पीछे जलवायु प्रणाली में आए बड़े परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका कारण अब तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, वैश्विक तापमान में वृद्धि भी इन परिवर्तनों को और जटिल बना रही है।
क्या 2009 और 2025 की समानता चिंता की बात है?
2025 में मानसून का आगमन 16 वर्षों में सबसे जल्दी हुआ है। पिछली बार ऐसा 2009 में हुआ था। 2009 में हल्का एल-नीनो था और उस वर्ष भारत में गंभीर सूखा पड़ा था। हालांकि 2025 की स्थिति कुछ अलग है। इस वर्ष वैश्विक तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, और 2023-24 में रिकॉर्ड गर्मी और जलवायु असामान्यताओं के कारण कई पैटर्न बदले हैं।
मानसून के केरल पहुंचने की प्रक्रिया (Why Mansoon Early in Kerala)
अब कई बाहरी कारक मानसून की ट्रफ को केरल तक पहुंचाने में भूमिका निभा रहे हैं। प्री-मानसून सीजन के अंत तक अधिक चक्रवात बन रहे हैं, जो ट्रफ को आगे खींचकर मानसून को जल्दी पहुंचा सकते हैं। इस बार भी पश्चिमी तट पर लो-प्रेशर सिस्टम के कारण ट्रफ को उत्तरी दिशा में खींचा गया। इसके पीछे आर्कटिक वार्मिंग और अरब सागर पर हवाओं की दिशा में बदलाव भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
क्या 2025 की बारिश 2009 जैसी होगी?
2009 में मानसून की शुरुआत के बाद मौसम गर्म रहा और धीरे-धीरे ला-नीना की स्थिति बनी। यह संकेत देता है कि मानसून का आगमन समुद्री सतह के तापमान और ट्रॉपिकल हवाओं पर भी निर्भर करता है। 2025 में भी गर्मी बनी हुई है, लेकिन वर्तमान में मौसम वैज्ञानिक 2025 को एक न्यूट्रल वर्ष मान रहे हैं, यानी न तो स्पष्ट एल-नीनो है और न ही इंडियन ओशन डाइपोल का प्रभाव।
हालांकि कुछ संकेत आगामी महीनों में एल-नीनो बनने की संभावना दिखा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह एल-नीनो इस वर्ष के जल्दी मानसून से जुड़ा है? इसका उत्तर भविष्य में अनुसंधानों से ही मिलेगा।
क्या मानसून का स्वरूप बदल रहा है?
Why Mansoon Early in Kerala मानसून के आगमन और वापसी दोनों में बदलाव देखे जा रहे हैं। कई क्षेत्रों में अब दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून एक साथ मिल जाते हैं। सीजन के अंदर बारिश की वितरण भी असमान हो गई है — कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा। यह सब दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन मानसून को प्रभावित कर रहा है।
वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं ताकि मानसून को बेहतर समझा और भविष्यवाणी की जा सके। लेकिन यह प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। जब तक हम मानसून के पीछे की प्रक्रियाओं को गहराई से नहीं समझेंगे, तब तक इसका सटीक पूर्वानुमान मुश्किल बना रहेगा।
Source: भारत मौसम विभाग