आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में मोबाइल फोन हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। यह तकनीक जितनी सुविधाजनक लगती है, उतनी ही खतरनाक भी साबित हो रही है। दशकों पहले प्रसिद्ध भविष्यवक्ता बाबा वेंगा ने चेताया था कि इंसान छोटे-छोटे उपकरणों पर इस कदर निर्भर हो जाएगा कि यह उसके मानसिक और सामाजिक जीवन पर भारी असर डालेगा। आज उनकी यह चेतावनी सटीक साबित होती दिख रही है।

बाबा वेंगा की भविष्यवाणी हुई सच, ‘साइलेंट किलर’ मोबाइल बन गया हर घर का हिस्सा
बाबा वेंगा ने कहा था कि भविष्य में लोग ऐसे उपकरणों के गुलाम हो जाएंगे जो उन्हें असली रिश्तों से दूर कर देंगे, उनके ध्यान की क्षमता को कम करेंगे और मानसिक बीमारियों का कारण बनेंगे। वर्तमान समय में मोबाइल फोन बिल्कुल वही कर रहा है। यह न सिर्फ हमारे रिश्तों को कमजोर कर रहा है, बल्कि हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है।
बच्चे हों या बुजुर्ग, सभी मोबाइल के आदी हो चुके हैं। बच्चों की पढ़ाई, खेलकूद और रचनात्मकता पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। वहीं, बुजुर्गों की नींद, आंखों की रोशनी और मानसिक शांति में भी गिरावट देखी जा रही है। लोगों में चिड़चिड़ापन, अकेलापन और डिप्रेशन जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं।
मोबाइल फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट नींद की गुणवत्ता को खराब करती है, जिससे थकान, सिरदर्द और तनाव जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसके अलावा, लगातार मोबाइल पर व्यस्त रहने से रीढ़ की हड्डी, आंखें और गर्दन पर भी असर पड़ता है।
एक और गंभीर मुद्दा यह है कि लोग अब भावनात्मक रूप से अपने परिवार से कटते जा रहे हैं। पहले जहां लोग साथ बैठकर बातें किया करते थे, आज वहां हर कोई मोबाइल में व्यस्त दिखता है। बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद की कमी बढ़ रही है।
इस डिजिटल लत से बचना अब समय की जरूरत बन चुकी है। खुद को और अपने परिवार को इस साइलेंट किलर के असर से बचाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं:
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डिजिटल डिटॉक्स करें: दिन में कुछ समय मोबाइल और अन्य डिवाइस से दूर रहें।
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फैमिली टाइम बढ़ाएं: खाने के समय और रात को सभी डिवाइस बंद कर परिवार के साथ समय बिताएं।
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शारीरिक गतिविधियां अपनाएं: योग, वॉक और खेलों को दिनचर्या में शामिल करें।
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बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखें: उनकी गतिविधियों पर नज़र रखें और उन्हें क्रिएटिव कामों में व्यस्त रखें।
तकनीक का इस्तेमाल ज़रूरी है, लेकिन संतुलन बनाए रखना और इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना उससे भी ज़्यादा अहम है। बाबा वेंगा की चेतावनी आज एक सच्चाई बन चुकी है, जिसे अनदेखा करना हमारी अगली पीढ़ियों के लिए घातक साबित हो सकता है।