Alan Garber : मई 2023 में हार्वर्ड एलुमनाई डे के दौरान, जब एलन गार्बर मंच पर बोलने आए, तब एक प्रदर्शनकारी ने उन पर सुनहरा चमकीला पाउडर फेंक दिया और विश्वविद्यालय की लैब्स से बंदरों की रिहाई की मांग की। गार्बर ने पूरी शांति से सभा को आश्वस्त किया कि वे सुरक्षित हैं और कहा कि हार्वर्ड हमेशा ऐसा स्थान बना रहे जहां “स्वतंत्र अभिव्यक्ति” फलती-फूलती रहे।

एलन गार्बर: वो शख्स जिसने अकादमिक मूल्यों की रक्षा की
गार्बर के शब्द सिर्फ उस क्षण के नहीं थे — वे उस बड़ी लड़ाई का संकेत थे, जो उन्हें जल्द ही ट्रंप प्रशासन के खिलाफ लड़नी थी।
ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई और हार्वर्ड की प्रतिक्रिया
Alan Garber: 2024 में जब डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों को “कट्टरपंथी वामपंथियों से मुक्त कराने” की घोषणा की, तो हार्वर्ड पर हमले तेज हो गए। गृह सुरक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की मान्यता रद्द कर दी। जवाब में हार्वर्ड ने अदालत का रुख किया और एक संघीय न्यायाधीश ने अस्थायी राहत प्रदान की।
हालांकि गार्बर ने अपने संबोधन में इस टकराव का सीधे ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उनके शब्दों में आत्मविश्वास था: “हार्वर्ड दुनिया भर के छात्रों का स्वागत करता है, जैसा कि उसे करना चाहिए।”
संकट में नेतृत्व: अंतरिम से पूर्ण अध्यक्ष तक
Alan Garber का हार्वर्ड से रिश्ता 1973 से शुरू हुआ जब उन्होंने अंडरग्रेजुएट के रूप में दाखिला लिया। तीन डिग्रियां लेने के बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड से मेडिकल की पढ़ाई की और 25 वर्षों का अकादमिक करियर बनाया।
2011 में, उन्हें हार्वर्ड की प्रोवोस्ट (मुख्य अकादमिक अधिकारी) नियुक्त किया गया। वे शांत, नीतिपरक और विवादों में संतुलन बनाने वाले प्रशासक के रूप में प्रसिद्ध हुए। 2023 में जब हार्वर्ड की पहली अश्वेत महिला अध्यक्ष क्लॉडिन गे को विवादों के चलते हटाया गया, तब गार्बर को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।
गार्बर ने तुरंत दो टास्क फोर्स बनाए — एक यहूदी विरोधीता और दूसरा इस्लामोफोबिया के मुद्दे पर। उनके कुछ फैसलों जैसे प्रोफेसर डेरिक पेंस्लर की नियुक्ति और रूढ़िवादी कानून प्रोफेसर जॉन मैनिंग को प्रोवोस्ट बनाने पर आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने संतुलन की नीति अपनाई।
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कैंपस आंदोलन और संतुलित प्रतिक्रिया
Alan Garber: जब हार्वर्ड के कैंपस में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए, तो गार्बर ने बल प्रयोग की बजाय संवाद को प्राथमिकता दी। जहां अन्य विश्वविद्यालयों ने पुलिस कार्रवाई की, वहीं उन्होंने छात्रों की सस्पेंशन पर पुनर्विचार की प्रक्रिया तेज की और प्रदर्शनकारियों के साथ विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी की बैठक सुनिश्चित की।
इन फैसलों ने उन्हें नेतृत्व में स्थायित्व दिलाया और अगस्त 2024 में उन्हें 2027 तक विश्वविद्यालय का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
ट्रंप प्रशासन का बड़ा हमला और गार्बर की कड़ी प्रतिक्रिया
Alan Garber मार्च 2025 में व्हाइट हाउस ने 9 अरब डॉलर की ग्रांट की समीक्षा शुरू कर दी, यह आरोप लगाते हुए कि हार्वर्ड यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने में विफल रहा है। गार्बर ने सहयोग की इच्छा जताई लेकिन जल्द ही टकराव बढ़ गया। अप्रैल में प्रशासन ने फैकल्टी चयन, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की निगरानी और “विचार विविधता” लागू करने जैसी शर्तें थोप दीं।
गार्बर ने तीन दिन बाद तीखा पत्र जारी किया जिसमें लिखा था, “कोई भी सरकार यह तय नहीं कर सकती कि निजी विश्वविद्यालय क्या पढ़ाएं, किसे भर्ती करें और क्या शोध करें।”
न्यायिक लड़ाई और रणनीतिक सुधार
बदले में सरकार ने हार्वर्ड की $2.2 अरब ग्रांट और $60 मिलियन कॉन्ट्रैक्ट्स पर रोक लगा दी और टैक्स छूट भी वापस लेने की धमकी दी। हार्वर्ड ने प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें फर्स्ट अमेंडमेंट के उल्लंघन और शैक्षणिक स्वतंत्रता में दखल का आरोप लगाया गया।
इस बीच, गार्बर ने भी रणनीति में संतुलन दिखाया। उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय अब छात्रों को उनकी व्यक्तिगत योग्यताओं के आधार पर आंकने की नीति अपनाएगा न कि उनकी जातीय पहचान के आधार पर। साथ ही, विभिन्न जातीय समूहों के लिए अलग-अलग ग्रेजुएशन समारोह भी रद्द कर दिए गए।
निष्कर्ष: संतुलन और साहस का नेतृत्व
एलन गार्बर ने हार्वर्ड को एक अभूतपूर्व संकट में नेतृत्व प्रदान किया। वे न सिर्फ राजनीतिक हमलों से विश्वविद्यालय की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि शैक्षणिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार अक्षुण्ण बना रहे। उनका नेतृत्व एक उदाहरण है कि कैसे विवेक, संतुलन और साहस से किसी संस्था को ना सिर्फ बचाया जा सकता है, बल्कि उसे और अधिक सशक्त भी किया जा सकता है।