बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। नीतीश कुमार के भरोसेमंद रहे और जदयू (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री रह चुके आरसीपी सिंह ने अब नई राजनीतिक राह पकड़ ली है। उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज का दामन थाम लिया है, जिससे राज्य की सियासत में नए समीकरण बनने की अटकलें तेज़ हो गई हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में हुआ है जब बिहार अगले वर्ष यानी 2025 में विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है। प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ शुरू से ही बिहार में वैकल्पिक राजनीति की बात करती रही है, और अब आरसीपी सिंह जैसे अनुभवी नेता की एंट्री से पार्टी को न सिर्फ मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य की मुख्यधारा राजनीति में पहचान बनाने में मदद भी।

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को मिला बड़ा चेहरा
जन सुराज में शामिल हुए RCP सिंह
18 मई, 2025 को आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने स्वयं आरसीपी सिंह को जन सुराज पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस अवसर पर किशोर ने कहा,
“आरसीपी सिंह जैसे अनुभवी और ईमानदार नेता का जन सुराज में स्वागत करते हुए हमें खुशी हो रही है। वह व्यवस्था परिवर्तन के लिए हमारे साथ जुड़े हैं।”
किशोर ने कहा कि बिहार को अब नई राजनीति की जरूरत है, और जन सुराज उस बदलाव की दिशा में एक मजबूत प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता पुराने चेहरों और घिसी-पिटी नीतियों से तंग आ चुकी है।
आरसीपी सिंह ने नीतीश और NDA पर कसा तंज
जन सुराज में शामिल होते ही आरसीपी सिंह ने भावुक लेकिन तीखे लहजे में अपनी बात रखी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने सालों तक एनडीए (NDA) और फिर इंडिया गठबंधन दोनों के लिए मेहनत की, लेकिन अब वक्त है अपने लिए काम करने का।
उनके शब्द थे:
“हमने दूसरों के लिए मजदूरी की है, पहली बार अपने लिए घर बना रहे हैं। हमारे लिए घर बिहार है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा पर भी सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की बात कही थी। आरसीपी सिंह ने कहा,
“2047 में विकसित भारत की बात होती है, लेकिन बिहार की नहीं। जब तक बिहार को विकसित करने की ठोस रणनीति नहीं बनाई जाएगी, तब तक भारत का समग्र विकास अधूरा रहेगा।”
नीतीश कुमार के साथ रिश्ते, अब दूरी
यह कदम खासतौर पर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आरसीपी सिंह को कभी नीतीश कुमार का सबसे करीबी और भरोसेमंद नेता माना जाता था। वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने और मोदी सरकार में मंत्री पद भी संभाला। लेकिन 2022 के बाद से ही उनके और नीतीश कुमार के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे थे, और अंततः उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी थी।
अब वही आरसीपी सिंह नीतीश के कट्टर विरोधी माने जा रहे प्रशांत किशोर के साथ जुड़ गए हैं, जिन्होंने कभी खुद जदयू के लिए रणनीति बनाई थी, लेकिन अब नीतीश की कार्यशैली के सबसे बड़े आलोचक बन चुके हैं।
बिहार की राजनीति में नया अध्याय
आरसीपी सिंह के जन सुराज में आने को केवल पार्टी ज्वॉइनिंग नहीं, बल्कि एक सियासी संकेत माना जा रहा है। यह दर्शाता है कि प्रशांत किशोर अब केवल राजनीतिक रणनीतिकार नहीं, बल्कि एक गंभीर राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं। आरसीपी सिंह के अनुभव और जन सुराज की नई सोच के साथ यह गठबंधन 2025 के विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे की संभावना को बल दे सकता है।
जहां एक ओर राजद और जदयू जैसे दल आपसी समीकरणों में उलझे हैं, वहीं भाजपा भी सीटों के समीकरणों में व्यस्त है। ऐसे में जन सुराज की तरफ से यह कदम जनता की नाराजगी को भुनाने की एक रणनीतक चाल हो सकता है।
✅ निष्कर्ष: जन सुराज को मिल सकती है राजनीतिक धार
आरसीपी सिंह जैसे अनुभवी नेता की एंट्री से जन सुराज पार्टी को निश्चित ही सियासी धार मिलेगी। बिहार के मतदाता, जो वर्षों से पारंपरिक राजनीति से परेशान हैं, उन्हें यह गठजोड़ एक वैकल्पिक और विश्वसनीय विकल्प के रूप में दिख सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जन सुराज और आरसीपी सिंह मिलकर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा दे पाएंगे या यह प्रयोग भी पुरानी राजनीति की भीड़ में कहीं खो जाएगा?