Supreme Court Grant Permission on Mullperiyar Dam: सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लपेरियार डैम से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही विवादों पर सोमवार, 19 मई 2025 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने तमिलनाडु और केरल को इस ऐतिहासिक 125 साल पुराने बांध की मरम्मत में सहयोग करने और जरूरी कार्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने तय की मुल्लपेरियार बांध मरम्मत की समयसीमा
पेड़ कटाई को लेकर स्पष्ट आदेश
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु द्वारा भेजे गए पेड़ों की कटाई संबंधी आवेदन को दो सप्ताह के भीतर पर्यावरण और वन मंत्रालय को भेजे। इसके बाद केंद्र सरकार को तीन सप्ताह के भीतर मंजूरी देने को कहा गया है। हालांकि, यह मंजूरी उचित शर्तों के साथ दी जाएगी।
मुल्लपेरियार डैम के पास कई ऐसे पुराने पेड़ हैं, जो मरम्मत कार्य में बाधा बन रहे हैं। इन पेड़ों की कटाई से मरम्मत कार्यों के लिए आवश्यक मशीनरी और सामग्री को बांध तक पहुंचाने में आसानी होगी।
मरम्मत कार्यों के लिए सामग्री परिवहन को मिली सहमति
तमिलनाडु ने बांध की सुरक्षा और मजबूती के लिए नौ जरूरी मरम्मत कार्यों की सूची सुप्रीम कोर्ट में रखी थी। केरल सरकार पहले ही इन नौ में से छह कार्यों के लिए सामग्री के परिवहन को अनुमति दे चुकी है। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब छह कार्यों के लिए सहमति दी जा सकती है, तो बाकी तीन कार्यों को भी रोका जाना तर्कसंगत नहीं है।
इस आधार पर अदालत ने केरल को बाकी तीन मरम्मत कार्यों के लिए भी सामग्री परिवहन की अनुमति देने को कहा, जिससे पूरे मरम्मत अभियान में कोई बाधा न आए।
बांध की सुरक्षा सर्वोपरि
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को यह भी याद दिलाया कि मुल्लपेरियार बांध न सिर्फ एक पुराना जल संरचना है, बल्कि लाखों लोगों की जीवन रेखा भी है। इसकी सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।
तमिलनाडु लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि बांध की मरम्मत कार्यों में देरी से लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए दोनों राज्यों को आपसी समन्वय और त्वरित निर्णय लेने की सलाह दी।
केंद्र की भूमिका भी अहम
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि वह पेड़ कटाई संबंधी निर्णय को निर्धारित समय में ले और इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से लंबा न खींचे। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह मामला पर्यावरण से जुड़ा जरूर है, लेकिन जनता की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।
निष्कर्ष
मुल्लपेरियार बांध से संबंधित यह मामला वर्षों से विवादित रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा फैसला एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे केरल और तमिलनाडु के बीच सहयोग बढ़ेगा और बांध की मरम्मत के कार्य जल्द शुरू हो सकेंगे। यह न सिर्फ बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को भी राहत देगा।