उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और इसके पीछे एक प्रमुख कारण है – फर्जी सिम कार्डों का गैरकानूनी इस्तेमाल। इसी कड़ी में यूपी एसटीएफ (Special Task Force) ने चित्रकूट जिले के राजापुर क्षेत्र में एक संगठित साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना ओमप्रकाश अग्रहरि है, जो पहले टेलीकॉम सेक्टर में काम कर चुका है और उसे टेलीकॉम कंपनियों की कार्यप्रणाली की पूरी जानकारी थी।

सिम कार्ड से साइबर ठगी का खुलासा: चित्रकूट से यूपी एसटीएफ ने दबोचा बड़ा गिरोह
️♂️ कैसे चलता था फर्जी सिम कार्ड का धंधा?
एसटीएफ को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि कुछ लोग टेलीकॉम कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी आईडी पर सिम कार्ड एक्टिवेट कर रहे हैं और इन सिमों को साइबर अपराधियों को बेचते हैं। इन फर्जी सिम कार्डों का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड, स्टॉक मार्केट स्कैम, पार्सल ठगी और बैंकिंग फ्रॉड जैसे मामलों में किया जा रहा था।
गिरोह एक ही ग्राहक को दो सिम देता था, जिसमें एक उसके नाम पर रजिस्टर्ड रहता और दूसरा गिरोह अपने पास रखता। इन सिमों से गैरकानूनी कॉल्स और ट्रांजेक्शन किए जाते, जिससे असली ग्राहक को भी कभी-कभी कानूनी पचड़े में फंसा दिया जाता था।
क्या-क्या बरामद हुआ STF की छापेमारी में?
गिरोह के पास से एसटीएफ ने भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक व फर्जी दस्तावेज बरामद किए, जिनमें शामिल हैं:
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514 एक्टिव सिम कार्ड
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561 अनएक्टिवेटेड ब्लैंक सिम कार्ड
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87 फर्जी आधार कार्ड
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31 मोबाइल फोन
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3 बायोमैट्रिक स्कैनर
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1 सीपीयू
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7,250 रुपये नकद
इन सबके अलावा, सिम कार्डों को एक्टिवेट करने के लिए जिन फर्जी बायोमैट्रिक और आधार कार्डों का उपयोग होता था, उन्हें रवि स्टूडियो का मालिक सुरेन्द्र सिंह तैयार करता था।
टेलीकॉम सेक्टर से शुरू हुआ गिरोह का सफर
गिरोह का सरगना ओमप्रकाश अग्रहरि पहले हच, वोडाफोन और जियो जैसी कंपनियों में डिस्ट्रीब्यूटर और सेल्स एग्जीक्यूटिव की भूमिका निभा चुका था। उसे सिम एक्टिवेशन की प्रक्रिया का पूरा ज्ञान था, जिसका फायदा उठाकर उसने फर्जी पीओएस एजेंटों (Point of Sale) को बनाकर गिरोह तैयार किया।
2023 में वोडाफोन-आइडिया द्वारा उसकी डिस्ट्रीब्यूटरशिप रद्द कर दिए जाने के बाद उसने फर्जी पहचान पत्रों और एजेंट आईडी के जरिए सिम एक्टिवेशन का खेल शुरू किया।
गिरोह के सदस्यों की पहचान
एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए 6 आरोपियों के नाम हैं:
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ओमप्रकाश अग्रहरि – अग्रहरि कम्युनिकेशन का मालिक और गिरोह का सरगना
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शिवदयाल निषाद – वोडाफोन आइडिया का सेल्स एग्जीक्यूटिव
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जितेन्द्र कुमार – वोडाफोन आइडिया का सेल्स एग्जीक्यूटिव
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राहुल पांडेय – वकील और डिस्ट्रीब्यूटर
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शिवबाबू – फर्जी पीओएस एजेंट
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सुरेन्द्र सिंह – रवि स्टूडियो का मालिक, फर्जी आधार कार्ड निर्माता
आगे की जांच और फॉरेंसिक टेस्टिंग
एसटीएफ ने बताया कि इस गिरोह द्वारा अब तक 10,000 से अधिक फर्जी सिम कार्ड बेचे जा चुके हैं। सभी बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जाएगा, ताकि साइबर अपराधों की गहराई से जांच हो सके। इसके अलावा, इस नेटवर्क से जुड़े अन्य साइबर ठगों और एजेंटों की तलाश भी जारी है।
राजापुर थाने में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। शुरुआती जांच के अनुसार, यह गिरोह देशभर में फैले साइबर अपराधों के पीछे एक मजबूत कड़ी के रूप में काम कर रहा था।
⚠️ क्यों है फर्जी सिम कार्ड इतनी बड़ी समस्या?
आज की डिजिटल दुनिया में एक सिम कार्ड पहचान और बैंकिंग से लेकर OTP आधारित सेवाओं तक में अहम भूमिका निभाता है। जब यह फर्जी आधार कार्ड से एक्टिवेट होकर साइबर ठगों के हाथों में चला जाता है, तब इससे सैकड़ों मासूम लोग ठगी का शिकार बनते हैं।
इन सिमों से किए गए अपराधों में असली अपराधी की पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है, जिससे जांच एजेंसियों के लिए चुनौती खड़ी हो जाती है।
✅ निष्कर्ष
एसटीएफ की यह कार्रवाई न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि पूरे देश में फर्जी सिम के जरिए होने वाली साइबर ठगी पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस गिरोह के नेटवर्क के खुलासे के बाद अब उम्मीद है कि साइबर सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा।
Source: ABP news