कैप्टन यशिका त्यागी भारतीय सेना की एक ऐसी वीरांगना हैं, जिन्होंने मातृत्व और देशभक्ति दोनों की मिसाल पेश की है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, जब वह अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती थीं, उन्होंने युद्ध क्षेत्र में अपनी सेवाएं दीं। उनकी यह अद्वितीय यात्रा भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को नई ऊंचाइयों तक ले गई।

प्रारंभिक जीवन और सेना में प्रवेश
कैप्टन यशिका त्यागी का जन्म एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनके पिता, जो स्वयं एक सेना अधिकारी थे, ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में भाग लिया था। पिता की मृत्यु के बाद, यशिका ने सेना में शामिल होने का संकल्प लिया। 1994 में, उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई से प्रशिक्षण प्राप्त किया और भारतीय सेना में अधिकारी बनीं।
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कारगिल युद्ध में सेवा
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, कैप्टन यशिका त्यागी लेह में तैनात थीं और अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती थीं। उन्होंने युद्ध क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी संभाली, जिसमें सैनिकों को आवश्यक आपूर्ति, गोला-बारूद और उपकरण प्रदान करना शामिल था। उनकी यह सेवा उस समय की गई जब वह गर्भवती थीं, जो उनके साहस और समर्पण का प्रतीक है।
युद्ध के बाद की यात्रा
सेना से सेवानिवृत्ति के बाद, कैप्टन यशिका त्यागी ने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया, जिसमें उन्होंने ECHS पॉलीक्लिनिक की निदेशक और विशेष बच्चों के लिए आशा स्कूल की प्रधानाचार्य के रूप में सेवाएं दीं। वर्तमान में, वह एक प्रेरणादायक वक्ता और ‘Shaurya Tales‘ नामक यूट्यूब चैनल की संचालिका हैं, जहां वह साहस और प्रेरणा की कहानियां साझा करती हैं।
प्रेरणा का स्रोत
कैप्टन यशिका त्यागी की कहानी न केवल भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मातृत्व और देशभक्ति एक साथ कैसे निभाई जा सकती है। उनकी यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो दिखाती है कि समर्पण और साहस से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
Source: The Times of India